टीवी चैनलों को मार्च से महीने में 15 घंटे ‘राष्ट्रहित वाली सामग्री’ दिखानी होगी: केंद्र

बीते साल नवंबर में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी टीवी चैनलों को राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर रोज़ 30 मिनट की सामग्री प्रसारित करने को कहा था. अब मंत्रालय ने एक परामर्श में कहा है कि सामग्री का प्रसारण लगातार 30 मिनट का नहीं होना चाहिए, इसे कुछ मिनटों के अलग-अलग ‘स्लॉट’ में तैयार किया जा सकता है.

दो विभागों ने सरकार से कहा था कि आईटी नियम डिजिटल कंटेंट विनियमन की अनुमति नहीं देते: रिपोर्ट

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने आधिकारिक दस्तावेज़ों में कहा है कि भारत में कोई विशिष्ट कानून नहीं है, जो केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने का अधिकार देता है. फ़िर भी सरकार नियमों के साथ छेड़छाड़ करने का विकल्प चुनते हुए नए आईटी क़ानून लेकर आई.

नए आईटी नियमों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़ बताते हुए कोर्ट पहुंचे मीडिया घराने

बड़े मीडिया घरानों के संगठन ने नए मीडिया नियमों को ‘अस्पष्ट और मनमाना’ क़रार देते हुए ठीक ही किया है, पर इसे यह भी समझना चाहिए कि परंपरागत मीडिया के डिजिटल प्लेटफॉर्मों और हालिया समय में आए डिजिटल समाचार मंचों के बीच अंतर करने की कोशिशें भी बचाव योग्य नहीं हैं.

आईटी नियमों के विरोध में 13 मीडिया संगठन और पत्रकार मद्रास हाईकोर्ट पहुंचे, केंद्र को नोटिस

मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथीलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन और पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. इसके साथ ही संगीतकार टीएम कृष्णा की लंबित याचिका में भी इन नियमों का चुनौती दी गई है.

यूएन के विशेष दूतों ने कहा- आईटी नियम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन करते हैं

भारत ने नए आईटी नियमों को सोशल मीडिया के साधारण यूजरों को सशक्त बनाने वाला बताते हुए कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नए नियम तय किए गए हैं. उसने कहा कि नए आईटी नियमों के संबंध में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जताई गई चिंताएं बिल्कुल वाज़िब नहीं हैं.

केंद्र का मुख्यधारा के मीडिया को नये आईटी नियमों से छूट देने से इनकार, कहा- इसे लागू करें

बीते दिनों नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने मुख्यधारा के टीवी मीडिया और इसके डिजिटल मंचों को नये आईटी नियमों से बाहर रखने की मांग की थी. इस पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि नियमों से कुछ को छूट देना उन डिजिटल समाचार प्रकाशकों के साथ भेदभाव होगा, जिनके पास पहले से टीवी या प्रिंट मंच नहीं है.

डिजिटल मीडिया पर सरकार का हमला नरेंद्र मोदी के डर को दिखाता है

दिग्गज सोशल मीडिया मंचों और ऑनलाइन न्यूज़ मीडिया के साथ नये नियमों को लेकर विवादास्पद बहस ऐसे मौके पर हो रही है जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर सामने आई अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं. ऐसे में आलोचनाओं के दमन में लगी सरकार ने टेक कंपनियों से दो-दो हाथ कर खु़ुद को अपने ही बुने चक्रव्यूह में फंसा लिया है.

समाचार प्रसारकों ने नए आईटी नियमों में सरकार से छूट की मांग की

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में कहा है कि यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.

केंद्र सरकार ने विवादित डिजिटल मीडिया नियमों से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने से इनकार किया

विशेष रिपोर्ट: केंद्र द्वारा लाए गए डिजिटल मीडिया के नए नियमों को लेकर हो रहे विरोध में एक मुद्दा इस बारे में हितधारकों के साथ समुचित चर्चा न होने का है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इन्हें बनाने से पहले हुए विचार-विमर्श के नाम पर दो सेमिनार और एक मीटिंग का हवाला दिया है, हालांकि इसमें से किसी के भी मिनट्स तैयार नहीं किए गए हैं.

भारत अब लोकतंत्र नहीं, ‘चुनावी तानाशाही’ में तब्दील हो चुका है: स्वीडिश इंस्टिट्यूट रिपोर्ट

स्वीडन के इस इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में भाजपा और नरेंद्र मोदी की जीत के बाद से देश का लोकतांत्रिक स्वरूप काफी कमज़ोर हुआ है और अब ये ‘तानाशाही’ की स्थिति में आ गया है.

भारत ने ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ दर्जे पर कहा- फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट ‘भ्रामक, गलत, अनुचित’

लोकतंत्र निगरानी संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में गिरावट 2019 में नरेंद्र मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद ही तेज़ हो गई थी और न्यायिक स्वतंत्रता भी दबाव में आ गई थी. इस पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को ‘उपदेशों’ की जरूरत नहीं है.

केरल: आलोचना के बाद मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट पर जेल के प्रावधान को वापस लिया

केरल सरकार ने पुलिस अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें धारा 118 ए जोड़ने का फैसला किया था. इसके तहत अगर कोई शख़्स सोशल मीडिया के ज़रिये कोई अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करता है तो उसके ख़िलाफ़ 10 हज़ार रुपये का जुर्माना या तीन साल की क़ैद या दोनों का प्रावधान किया गया था.

केरल में ‘अपमानजनक’ सोशल मीडिया पोस्ट पर हो सकती है तीन साल की सज़ा

राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने केरल पुलिस अधिनियम में नई धारा 118(ए) जोड़ने के प्रावधान को मंज़ूरी दे दी है, जिसके तहत अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर तीन साल की क़ैद या 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है.

2019-20 में मोदी सरकार ने विज्ञापन पर प्रतिदिन क़रीब 1.95 करोड़ रुपये ख़र्चे: आरटीआई

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के मुताबिक़ पिछले वर्ष मोदी सरकार ने अख़बार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, होर्डिंग इत्यादि के माध्यम से प्रचार के लिए कुल 713 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं.

विज्ञापन के ज़रिये पांच सालों में सोशल मीडिया पर सिर्फ़ एक जागरूकता अभियान चलाया: सरकार

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि लोक संपर्क और संचार ब्यूरो (बीओसी) सोशल मीडिया मंचों सहित विभिन्न मीडिया मंचों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाती है. पांच साल में सिर्फ केवल एक अभियान चलाया, जिस पर 21.66 लाख रुपये ख़र्च हुआ.