हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका में सर्वे की मांग करते हुए दावा किया गया है कि अजमेर शरीफ़ दरगाह के नीचे एक शिव मंदिर था. स्थानीय अदालत ने इसे लेकर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, एएसआई और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस भेजा है.
अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्राप्त शिकायतों की संख्या में पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान भारी वृद्धि हुई है. अधिकांश शिकायतें मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई हैं. उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से लगातार छठी बार सबसे ज़्यादा शिकायतें मिली हैं.
केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा संचालित मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फेलोशिप योजना के लाभार्थियों को महीनों से उनकी अनुदान राशि न मिलने के चलते उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. कुछ तो अपनी पढ़ाई छोड़ने पर भी विचार कर रहे हैं. सरकार द्वारा पिछले दिसंबर में कहा गया था कि अब से इस फेलोशिप को बंद किया जा रहा है.
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को 3,097 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि पिछले साल यह 5,020.50 करोड़ रुपये था.
'पढ़ो प्रदेश ब्याज सब्सिडी योजना' के तहत अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को विदेश में पढ़ाई हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज में सब्सिडी दी जाती थी. 2006 में शुरू हुई यह योजना अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री के पंद्रह सूत्रीय कार्यक्रम का हिस्सा थी.
केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार क़ानून का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वह इस क़ानून के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान कर रही है, इसलिए स्कॉलरशिप दिए जाने की ज़रूरत नहीं है.
भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक याचिका में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है. इसके जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्य सरकारें भी अपने राज्य की सीमा में हिंदू समेत अन्य धार्मिक और भाषाई समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को वित्त वर्ष 2020-21 में सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय से क्रमश: 99, 28 और दो शिकायतें प्राप्त हुई थीं, लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष के आठ महीनों में ही इन समुदायों से शिकायतों की संख्या इससे अधिक हो गई है.
विशेष रिपोर्ट: अल्पसंख्यकों के विकास के लिए ज़रूरी योजनाओं पर ही काफी कम पैसे ख़र्च हो रहे हैं. सरकार ने इसके मुक़ाबले औसतन ज़्यादा राशि हज सब्सिडी पर ख़र्च की है. इस साल सबसे कम पैसे अल्पसंख्यकों की शिक्षा के क्षेत्र में ख़र्च किए गए हैं.
वित्त वर्ष 2018-19 में भी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट 4700 करोड़ रुपये रखा गया था. इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में मंत्रालय के लिए 4197 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि केंद्र सरकार हज यात्रियों को नहीं बल्कि घाटे में चल रही एयर इंडिया की मदद के लिए सब्सिडी दे रही थी.