संसद ने बीते बृहस्पतिवार को पॉक्सो संशोधन विधेयक को मंजूरी दी, जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी को परिभाषित करने के अलावा बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराध के मामलों में मृत्युदंड तक का भी प्रावधान किया गया है.
राष्ट्रीय महिला आयोग में अध्यक्ष पद को छोड़कर सभी पांच सदस्यों के पद ख़ाली हैं. आयोग को मज़बूत करने के लिए बनाया गया विधेयक भी अप्रैल 2015 से ही प्रधानमंत्री कार्यालय में लंबित है.
12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए दंड को सात वर्ष के न्यूनतम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है. 16 वर्ष से कम की लड़की से बलात्कार में सज़ा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा.
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा, ‘बाल यौन शोषण का सबसे अधिक नजरअंदाज किए जाने वाला वर्ग पीड़ित लड़कों का है. बचपन में यौन शोषण का शिकार होने वाले लड़के जीवन भर गुमसुम रहते हैं.’
साल 2011 की जनगणना में पाया गया कि तकरीबन 70 लाख लड़कों की शादी 21 साल से कम उम्र में जबकि लगभग 52 लाख लड़कियों का विवाह 18 साल से कम उम्र में हो गया था.