भारत में आम नागरिकों के साथ होने वाले पुलिसिया अत्याचार सामूहिक आक्रोश की वजह क्यों नहीं हैं?

पुलिस की बर्बरता से हम सभी को फ़र्क़ पड़ना चाहिए, भले ही निजी तौर पर हमारे साथ ऐसा न हुआ हो. ये हमारी व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे बदलना चाहिए और पूरी ताक़त से मिलकर ज़ाहिर की गई जनभावना ही ऐसा कर सकती है.

अमेरिका में चल रहा विरोध प्रदर्शन भारतवासियों के लिए आईना है और चुनौती भी

जब विरोध होता है तो व्यवस्था की ओर से उपदेश दिया जाता है कि संवाद की स्थितियां बनानी चाहिए. यह बोझ भी प्रदर्शनकारियों पर ही डाल दिया जाता है कि वे संवाद कायम करें. क्या शोषण तर्क और संवाद के सहारे चलता है? विरोध से अराजकता फैलने का आरोप लगाते समय लोग भूल जाते हैं कि जो विरोध करने को बाध्य हुए हैं, उनके जीवन में अराजकता के अलावा शायद ही कुछ है.

अमेरिका: अश्वेत की हत्या का आरोपी पुलिसकर्मी गिरफ़्तार, हिंसक प्रदर्शनों में एक की मौत

बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड के गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन द्वारा आठ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. फ्लॉयड की मौत के विरोध में अमेरिका के कई शहरों लॉकडाउन के बीच हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.