छत्तीसगढ़ में 1975 से 1977 के बीच आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में 10,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक पेंशन दी जाती थी. 2008 में भाजपा शासन के दौरान शुरू की गई योजना को 2019 की कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया था.