वीडियो: हरियाणा के हिसार ज़िले के मिरकन गांव में 14 दिसंबर को कथित उच्च जाति के क़रीब 17 जाट लोगों ने पंप चुराने के आरोप में एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी. इस परिवार ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं.
हरियाणा के हिसार ज़िले के मिरकन गांव की 14 दिसंबर की घटना. हिसार सिविल अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे पीड़ित परिवार का आरोप है कि उच्च जाति के क़रीब 17 जाट लोगों ने पंप चुराने के आरोप में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी. परिवार ने पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं.
बेअदबी के आरोप में बीते 19 दिसंबर को कपूरथला के एक गुरुद्वारा में की गई लिंचिंग में पीड़ित व्यक्ति के शव पर घाव के क़रीब 30 निशान मिले हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि यह घटना हत्या की ओर इशारा करती है, क्योंकि जांच में बेअदबी का कोई सबूत नहीं मिला है. कपूरथला के अलावा बीते 18 दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में जिन लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी, उन दोनों
सभ्य, लोकतांत्रिक और आधुनिक समाजों में मॉब लिंचिग जैसी बर्बरताओं की कोई जगह नहीं है- धर्मग्रंथों व प्रतीकों की बेअदबी के नाम पर भी नहीं.
वीडियो: हरियाणा के पलवल में बीते 14 दिसंबर को 23 साल के मुस्लिम युवक राहुल ख़ान की कथित तौर पर उनके तीन दोस्तों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. आरोपियों ने पीड़ित के परिजनों को बताया था कि वह सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुआ है. हालांकि घटना का वीडियो सामने आने के बाद तीनों को गिरफ़्तार किया गया है.
अंग्रेज़ी के प्रमुख अख़बारों ने पंजाब में 'बेअदबी' की घटनाओं पर प्रकाशित संपादकीयों को नेताओं द्वारा मॉब लिंचिग की घटना की निंदा न किए जाने पर केंद्रित किया है. इनमें कहा गया कि यह चुप्पी चुनावों से पहले मतदाताओं के एक वर्ग को नाराज़ नहीं करने के उद्देश्य से है.
पंजाब विधानसभा ने साल 2018 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के संबंध में दो विधेयकों को पारित किया था, जिसमें आरोपियों को उम्रक़ैद की सज़ा देने का प्रावधान किया गया है. उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि राष्ट्रपति इन कानूनों को तत्काल मंज़ूरी प्रदान करें.
पंजाब के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में 18 दिसंबर को कथित तौर पर बेअदबी का प्रयास करने के आरोप में एक व्यक्ति के हत्या के बाद 19 दिसंबर को इसी तरह कपूरथला निजामपुर गांव के गुरुद्वारे में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. हालांकि कपूरथला में हुई घटना में पुलिस ने बेअदबी किए जाने के आरोप से इनकार किया. दोनों घटनाओं में मृतकों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है.
घटना 14 दिसंबर को हुई थी. आरोप है कि दोस्तों के बीच हुए विवाद के बाद आरोपियों ने युवक को बेरहमी से पीटा, जिसके बाद उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया. आरोपियों ने पीड़ित के परिजनों को बताया कि वह सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुआ है. घटना का वीडियो सामने आने के बाद तीनों को गिरफ़्तार किया गया है.
यह घटना बीते 18 दिसंबर को उस समय हुई, जब एक व्यक्ति अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में पवित्र स्थल पर रखी महाराजा रणजीत सिंह की तलवार उठाने के बाद उस स्थान के पास पहुंच गया, जहां सिख ग्रंथी पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ कर रहे थे. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कार्यबल के सदस्य जब उसे पकड़कर एसजीपीसी कार्यालय ले जा रहे थे, तब गुस्साई भीड़ ने उसकी बुरी तरह से पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने पूछा गया था कि देश में भीड़ द्वारा पिछले पांच वर्षों में कितने मुस्लिमों और दलितों पर सार्वजनिक रूप से हमला किया गया या गंभीर रूप से घायल किया गया है, जिनकी इसकी वजह से मौत हो गई. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि पुलिस और लोक व्यव्यवस्था राज्य के विषय हैं.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सियालकोट ज़िले की एक कपड़ा फैक्टरी में महाप्रबंधक के तौर पर काम कर रहे श्रीलंका के प्रियंता कुमारा की ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी और फिर उसके शव को जला गया. आरोप है कि कुमारा ने कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के एक पोस्टर को कथित तौर पर फाड़ दिया था, जिसमें क़ुरान की आयतें लिखी थीं.
हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी संगठनों को लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा बरती जाने वाली ख़ामोशी का अर्थ है कि वे इसे राष्ट्र या सरकार के लिए किसी प्रकार का ख़तरा नहीं मानते. इस तरह के रवैये से बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को ही बढ़ावा मिलता है.
एक अप्रैल, 2017 को पहलू ख़ान, उनके दो बेटे और दो अन्य लोग जयपुर में लगे पशु मेले से लौट रहे थे, तब अलवर के बहरोड़ में कथित गोरक्षकों ने उन्हें रोका और बुरी तरह से पिटाई की. हमले में बुरी तरह से घायल पहलू ख़ान की मौत हो गई थी. अगस्त 2019 में अलवर की निचली अदालत ने मामले के छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी कहा कि ग़ैर-मुस्लिम लोगों को बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज़ करना चाहिए, ताकि वो अनैतिकता की चपेट में नहीं आएं. जमीयत ने अपने बयान में समाज के प्रभावशाली और धनी लोगों से अपने-अपने क्षेत्र में लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल और कॉलेज खोलने की अपील की.