मोदी सरकार ने तीन अख़बारों को सरकारी विज्ञापन देना बंद किया

सामूहिक रूप से 2.6 करोड़ मासिक पाठक वर्ग वाले तीनों बड़े अख़बार समूहों का कहना है कि मोदी के पिछले महीने लगातार दूसरी बार भारी बहुमत से चुनकर सत्ता में आने से पहले ही उनके करोड़ों रुपये के विज्ञापनों को बंद कर दिया गया.

जम्मू कश्मीर: सरकारी विज्ञापन न देने के ख़िलाफ़ अख़बारों ने ख़ाली छोड़े फ्रंट पेज

जम्मू कश्मीर के कई बड़े अख़बारों ने सरकार द्वारा ग्रेटर कश्मीर और कश्मीर रीडर अख़बारों को बिना कोई स्पष्ट कारण बताए विज्ञापन न देने के फ़ैसले के विरोध में रविवार को अपने पहले पन्ने को ख़ाली छोड़ दिया.

सिर्फ प्रचार पर ही ख़त्म कर दिया गया ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का 56 फीसदी बजट

इस योजना पर साल 2014-15 से 2018-19 तक में मोदी सरकार कुल 648 करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है. इनमें से केवल 159 करोड़ रुपये ही जिलों और राज्यों को भेजे गए हैं. वहीं 364.66 करोड़ रुपये मीडिया संबंधी कार्यों पर ख़र्च किए गए और 53.66 करोड़ रुपये जारी ही नहीं किए गए.

यूपीए के मुकाबले मोदी सरकार ने विज्ञापन पर जारी की दोगुनी राशि, अब तक 5246 करोड़ रुपये ख़र्च

यूपीए सरकार के दस साल में कुल मिलाकर 5,040 करोड़ रुपये की राशि विज्ञापन पर ख़र्च की गई थी. वहीं मोदी सरकार पांच साल से कम कार्यकाल में ही 5245.73 करोड़ रुपये ख़र्च कर चुकी है.

मोदी सरकार ने साढ़े चार सालों में विज्ञापन पर ख़र्च किए 5,000 करोड़ रुपये

मोदी सरकार में विज्ञापन पर खर्च की गई राशि यूपीए सरकार के मुकाबले दोगुनी से भी ज़्यादा है. यूपीए ने अपने दस साल के कार्यकाल में विज्ञापन पर औसतन 504 करोड़ रुपये सालाना खर्च किया था, वहीं मोदी सरकार में हर साल औसतन 1202 करोड़ की राशि खर्च की गई है.