वीडियो: बीते 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस पर दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की गई. बीकेयू प्रमुख ने स्पष्ट रूप से इन कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आंदोलन के साथ किसान आंदोलन को एकीकृत करने का तर्क दिया.
बीते 19 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के 40 किसान नेता सोमवार सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे के बीच सभी सीमाओं पर भूख हड़ताल पर बैठेंगे. इनमें से पच्चीस सिंघु, 10 टिकरी बॉर्डर और पांच यूपी बॉर्डर पर बैठेंगे.
पंजाब के उप महानिरीक्षक (कारागार) लक्षमिंदर सिंह जाखड़ ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि मैं पहले एक किसान हूं और बाद में एक पुलिस अधिकारी. आज मुझे जो भी पद मिला है, वो इसलिए कि मेरे पिता ने किसान के तौर पर काम किया और मुझे पढ़ाया, इसलिए मैं खेती के लिए अपना सब कुछ छोड़ता हूं.
पत्रकारिता और देशभक्ति का साथ विवादास्पद है. देशभक्ति अक्सर सरकार के पक्ष का आंख मूंदकर समर्थन करती है और फिर प्रोपगेंडा में बदल जाती है. आज सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर अपना प्रोपगेंडा फैलाने की कला में पारंगत हो चुकी है और जिन पत्रकारों पर सच सामने रखने का दारोमदार था, वही इसमें सहभागी हो गए हैं.
जैसे आर्थिक नीतियों को देशवासियों के बजाय कॉरपोरेट के लिए उदार बनाने की प्रक्रिया को उदारवाद का नाम दिया गया और देश के संसाधनों की लूट की खुली छूट देने को विकास के लिए सुधार कहा जाता है, क्या वैसे ही अब सारी अलोकतांत्रिकताओं को लोकतंत्र कहा जाने लगेगा?
बीते 17 दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपतियों से कृषि क्षेत्र में निवेश की अपील करते हुए कहा कि कृषि में निजी क्षेत्र की ओर से जितना निवेश होना चाहिए था वहीं नहीं हुआ है.
वीडियो: किसानों के आंदोलन करीब दो हफ्ते हो गए. पहली बार किसी आंदोलन ने सरकार के साथ देश के दो बड़े कॉरपोरेट घरानों को निशाना बनाया है, पर न्यूज़ चैनल और कई अख़बार अपनी ख़बरों में इन कॉरपोरेट घरानों का उल्लेख तक नहीं कर रहे हैं. मीडिया बोल में वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी और प्राध्यापक डॉ. रीतू सिंह से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की चर्चा.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की शीर्ष अधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों पर अमेरिकी संसद की सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि एक साल तक भारत सरकार द्वारा जारी धमकियां, एमनेस्टी इंडिया के दफ़्तरों पर हमले, कर्मचारियों और बोर्ड के सदस्यों से पूछताछ आदि के बाद यह कदम उठाया गया.
वीडियो: केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ कई हफ्तों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मुद्दे पर द वायर के पॉलिटिकल अफेयर्स एडिटर अजय आशीर्वाद से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: आंदोलनकारी किसान संगठनों को कृषि क़ानूनों पर भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने उन्हें वापस लेने की किसानों की मुख्य मांगों का कोई ज़िक्र नहीं किया था. इस मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन (उग्रहण) के सुखदेव सिंह और लोक संघर्ष मोर्चा की प्रतिभा शिंदे से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
अंतरराष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनी फाइज़र के बाद सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने देश में कोरोना वायरस से संबंधित टीके के इस्तेमाल की मंज़ूरी मांगी थी. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के विशेषज्ञों की एक समिति ने इन कंपनियों से संभावित टीके के परीक्षण से संबंधित और अधिक जानकारी मांगी है.
वीडियो: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान पिछले 15 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत.
वीडियो: जब से किसान आंदोलन शुरू हुआ तब से आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों पर कुछ नहीं बोले, जबकि उन्होंने कई तरह की बैठकों और कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है. इस मुद्दे पर स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
कुल 13 आंदोलनकारी किसान संगठनों को भेजे गए मसौदा प्रस्ताव में सरकार ने कहा कि सितंबर में लागू किए गए नए कृषि क़ानूनों के बारे में उनकी चिंताओं पर वह सभी आवश्यक स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार ने क़ानूनों को वापस लेने की किसानों की मुख्य मांग के बारे में कोई ज़िक्र नहीं किया था.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में मुख्य मिट्टी रसायनज्ञ डॉ. वरिंदरपाल सिंह ने केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा के हाथों से पुरस्कार लेने से इनकार करते हुए कहा कि मेरा ज़मीर इसकी अनुमति नहीं देता, क्योंकि भारत सरकार ने शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को बेवजह तकलीफें दी हैं.