कश्मीर प्रेस क्लब ने मीडिया के लिए इंटरनेट सेवाओं को तुरंत बहाल करने की मांग करते हुए कहा कि सरकार ने जानबूझकर ऐसी रोक लगाई है, ताकि सूचना के प्रवाह पर रोक लगाई जा सके.
वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट कहती है कि 662 लोगों ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की और अपने खिलाफ लगाए गए पीएसए को रद्द करने की मांग की.
पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करने के बाद से प्रशासन ने संचार की सभी लाइनों- लैंडलाइन टेलीफोन सेवा, मोबाइल फोन सेवा और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया था.
एनआरसी और एनपीआर को ख़ारिज किया जाना चाहिए और नागरिकता क़ानून को फिर से तैयार किया जाए, जिसमें इसके प्रावधान किन्हीं धर्म विशेष के लिए नहीं, बल्कि सभी प्रताड़ितों के लिए हों.
जम्मू कश्मीर के अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए गए पांचों नेता नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के हैं, जिन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था. 5 अगस्त से पूर्ववर्ती राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथ मुख्यधारा और अलगाववादी खेमे दोनों के सैकड़ों नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा है.
योजना का प्रथम चरण 11 अक्टूबर, 2014 को शुरू किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर ग्राम पंचायतों में पाइप से पेयजल की परियोजना पूरी नहीं की गई. करीब 30 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में ठेकेदारों ने यह परियोजना ग्राम पंचायत अधिकारियों के हवाले नहीं की.
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर जैसे मुद्दों पर विचारपूर्ण और सकारात्मक बहस जरूरी है और प्रदर्शन के दौरान हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. लोकतंत्र में सहमति, असहमति बुनियादी सिद्धांत है. दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए.
रमाबाई मध्यप्रदेश के दमोह जिले के पथरिया सीट से बसपा विधायक हैं. रमाबाई ने अपनी पथरिया विधानसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के एक कार्यक्रम में संशोधित नागरिकता कानून का समर्थन किया था. समर्थन करने पर पटेल ने उनकी तारीफ भी की थी.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अगले साल के लिए घोषित सरकारी अवकाश की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की जयंती और शहीद दिवस को हटा दिया है, लेकिन 26 अक्टूबर जिसे ‘विलय दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है, उसे इस सूची में जगह दी गई है.
अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र शोध इकाई कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश की नागरिकता संबंधी प्रक्रिया में धार्मिक पैमाने को जोड़ा गया है. संघीय सरकार की एनआरसी की योजना को संशोधित नागरिकता कानून के साथ लाने से भारत के लगभग 20 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों का दर्जा प्रभावित हो सकता है.
केंद्र की मोदी सरकार ने बीते पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया था. कश्मीर घाटी में अब भी मोबाइल इंटरनेट सेवा पर बहाल नहीं की गई है.
कर्नाटक के गृह मंत्री ने इसे हिरासत केंद्र कहने से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि इसे इसलिए तैयार किया गया है ताकि देश में वीज़ा अवधि से ज़्यादा वक़्त से रह रहे और मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त अफ्रीकी नागरिकों को रखा जा सके.
जिस नागरिकता क़ानून को गांधी जी और भारतीयों ने आज से 113 साल पहले विदेशी धरती पर नहीं माना, उस औपनिवेशिक सोच से निकले सीएए और एनआरसी को हम आज़ाद भारत में कैसे स्वीकार कर सकते हैं?
यह हक़ की लड़ाई है. एक तरफ नफ़रत है और एक तरफ हम. मैं यक़ीन दिलाना चाहता हूं कि हम सही हैं. नफ़रती पूरी कोशिश कर रहे हैं पर हमने भी गांधी जी का दामन थाम रखा है. मैं ये भी यक़ीन दिलाता हूं कि हम जीतेंगे क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं है.
अगर नागरिकता संशोधन क़ानून दूसरे देशों के मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, तो एनआरसी भारत के मौजूदा नागरिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण है, जिसके कारण यह कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.