रफाल को लेकर मोदी सरकार का दावा है कि नई डील यूपीए सरकार से बेहतर है और इसकी वजह से भारत को विमान जल्दी मिल जाएंगे. हालांकि रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकार के इन दावों पर सहमति नहीं जताई थी.
भारतीय रक्षा पूंजी खरीद की बातचीत में किसी ‘शेरपा’(दूत) की मदद की व्यवस्था छोड़िए, कोई कल्पना भी नहीं की गई है. न ही अंतरसरकारी समझौतों के मामलों में उनकी कोई भूमिका ही सुनिश्चित की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2015 में रफाल सौदे से महज़ 15 दिन पहले अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षामंत्री और उनके सलाहकारों से मिले थे. कांग्रेस ने सरकार पर गोपनीयता क़ानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा, 'रक्षा मंत्री और विदेश सचिव नहीं जानते थे लेकिन अंबानी को पता था कि सौदा होने वाला है.’
क्या आपने रक्षा ख़रीद की ऐसी कोई डील सुनी है जिसकी शर्तों में से किसी एजेंसी या एजेंट से कमीशन लेने या अनावश्यक प्रभाव डालने पर सज़ा के प्रावधान को हटा दिया जाए? मोदी सरकार की कथित रूप से सबसे पारदर्शी डील में ऐसा ही किया गया है.
रफाल सौदा 2013 की मानक रक्षा ख़रीद प्रक्रिया (डीपीपी) के तहत किया गया था जिसमें भ्रष्टाचार को लेकर जुर्माने संबंधी सख़्त प्रावधान किए गए थे. 'द हिंदू' की रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रत्येक रक्षा ख़रीद में लागू होने वाले इन प्रावधानों को मोदी सरकार द्वारा सितंबर 2016 में इस सौदे से हटा दिया गया.
कांग्रेस ने महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि पर हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए उनके द्वारा संसद में रफाल सौदे की ऑडिट रिपोर्ट पेश करने पर ऐतराज़ जताया.
3000 करोड़ रुपये की मूर्ति, 1 लाख करोड़ रुपये की बुलेट ट्रेन उस देश की सबसे पहली ज़रूरतें हैं, जहां छह करोड़ बच्चे कुपोषित हैं, शिक्षकों के दस लाख पद ख़ाली हैं, सवा तीन लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं और 20 करोड़ लोग रोज़ भूखे सोते हैं.
मुंबई के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में हुए एक कार्यक्रम में फिल्मकार और अभिनेता अमोल पालेकर ने संस्कृति मंत्रालय की आलोचना की थी. पालेकर ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी दिन-ब-दिन कम होती जा रही है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि भाजपा के शासनकाल में राष्ट्रवाद और देशभक्ति की परिभाषाएं बदल दी गई हैं. जो रफाल सौदे का गुणगान कर रहे हैं वे देशभक्त माने जा रहे हैं, जो सवाल उठा रहे हैं उन्हें देशद्रोही करार दिया जा रहा है.
वीडियो: एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रफाल सौदे में पीएमओ के दखल पर रक्षा मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी. द वायर द्वारा भी इस साल जनवरी में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रक्षा मंत्रालय के रफाल क़रार की शर्तों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय समझौता कर रहा था. इस मामले पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अजय आशीर्वाद की बातचीत.
‘द हिंदू’ अख़बार ने खुलासा किया है कि रफाल सौदे में पीएमओ ने फ्रांस सरकार से समानांतर बातचीत की थी. इस बातचीत ने इस सौदे पर रक्षा मंत्रालय और भारतीय वार्ताकार टीम की बातचीत को कमज़ोर किया. इस रिपोर्ट को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ख़ारिज करते हुए कहा है कि अख़बार ने पत्रकारीय मूल्यों का पालन नहीं किया.
रफाल सौदे पर बातचीत के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक टीम गठित की, उसी तरह फ्रांस की तरफ से भी एक टीम बनी. दोनों के बीच लंबे समय तक बातचीत और मोलभाव हुआ. इस बीच भारतीय टीम को पता चला कि इस बातचीत में उनकी जानकारी के बिना पीएमओ भी शामिल है और अपने स्तर पर शर्तों को बदल रहा है. लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह बात छिपाई. क्या ये सरकार सुप्रीम कोर्ट से भी झूठ बोलती है?
रफाल सौदे में पीएमओ की दखल पर रक्षा मंत्रालय की आपत्ति की मीडिया रिपोर्ट पर दोनों सदनों में विपक्ष ने सरकार को घेरा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'अब साफ हो चुका है कि प्रधानमंत्री ने इस देश से चोरी की है. मैं कड़े शब्द इस्तेमाल नहीं करता, लेकिन करने को विवश हो रहा हूं कि भारत के प्रधानमंत्री चोर हैं.’
'द हिंदू' अख़बार ने दावा किया है कि फ्रांस सरकार के साथ रफाल समझौते को लेकर रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ पीएमओ भी समानांतर बातचीत कर रहा था. द वायर द्वारा भी इस साल जनवरी में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रक्षा मंत्रालय के रफाल करार की शर्तों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय समझौता कर रहा था.
केंद्रीय राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने कहा कि आपराधिक कानूनों में संशोधन एक सतत प्रक्रिया है और इस पर राज्य सरकारों सहित विभिन्न पक्षों से सलाह के बाद ही किसी तरह का फैसला लिया जाता है.