क्या उत्तर प्रदेश में सरकार और भाजपा संगठन के बीच मची कलह खुलकर सामने आनी लगी है?

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 240 सीटों पर सिमटने और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से भी पिछड़ने के बाद से राज्य में पार्टी के भीतर मतभेद की ख़बरें लगातार सामने आ रही हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाया जा रहा है.

मणिपुर ऑडियो टेप: क्या सीएम ने अमित शाह के आदेश के उलट राज्य में बम के इस्तेमाल का आदेश दिया?

मणिपुर में सालभर से चल रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की एक कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग, जिसे हिंसा की जांच कर रहे आयोग के सामने भी रखा गया है, सीएम के तौर पर उनके आचरण और इरादों पर सवाल खड़े करती है. मणिपुर सरकार ने रिकॉर्डिंग को 'फ़र्ज़ी' कहा है.

केंद्र ने सहयोगी दलों और विपक्ष के दबाव के बीच लैटरल एंट्री पर यू-टर्न लिया

मंत्रालयों में लैटरल एंट्री को लेकर विपक्ष के साथ एनडीए के सहयोगी दलों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया है. विपक्ष ने इस निर्णय को आरक्षण विरोधी बताया था.

संसद की अवहेलना: अडानी की जांच पर संसद में वादे कर बार-बार मुकरी सरकार

पिछले 9 सालों में मोदी सरकार ने संसद को कम से कम सात बार आश्वासन दिया कि वह अडानी समूह और दूसरी कंपनियों से जुड़े कथित घोटालों की जांच कर रही है. लेकिन जब लोगों का ध्यान इस ओर से हटा, तो केंद्र ने चुपचाप इन जांचों को रोक दिया.

वक़्फ़ संशोधन विधेयक संविधान का उल्लंघन है

वक़्फ़ एक विशेष मुस्लिम क्षेत्र है क्योंकि यह सदियों से मुस्लिम संपत्तियों के दान से उपजा है, लेकिन मोदी सरकार इसे पचा नहीं पाई. वक़्फ़ संशोधन विधेयक के ज़रिये इस सरकार का मुस्लिम विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आया है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एससी/एसटी आरक्षण वर्गीकरण पर कहा- आंबेडकर के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं

1 अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यों को एससी और एसटी श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी थी ताकि इन श्रेणियों के भीतर सबसे पिछड़े समुदायों को निश्चित उप-कोटा के माध्यम से प्रतिनिधित्व मिल सके.

लद्दाख ने कहा: पांच बरस बाद न प्रश्न मिटे, न पीड़ा

भारतीय संसद द्वारा पारित 'जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019' के तहत लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, विकास के तमाम दावे किए गए थे. क्या बीते पांच साल में लद्दाख की बयार बदली है?

जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र और लोगों के पास अन्य भारतीयों के समान अधिकार नहीं हैं: श्रीनगर सांसद

श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने सोमवार को लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि बजट बनाना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन इस समय हमारे पास लोकतंत्र नहीं है.

जम्मू कश्मीर में 5 साल में आर्थिक वृद्धि गिरी; कर्ज़, बेरोजगारी, आत्महत्या में इज़ाफ़ा- रिपोर्ट

'द फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स इन जम्मू एंड कश्मीर'की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2015 से मार्च 2019 के बीच जम्मू कश्मीर के नेट स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (एनएसडीपी) में 13.28% की वार्षिक वृद्धि हुई थी. 2019 में इसके केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह वृद्धि घटकर 8.73% रह गई है.

अनुच्छेद 370 की पांचवी बरसी: जम्मू-कश्मीर में पत्रकारिता के संकट पर ‘दिल्ली’ की चुप्पी

पुस्तक अंश: 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात पर केंद्रित रोहिण कुमार की पुस्तक ‘लाल चौक’ का एक अंश.

‘लद्दाख पर लद्दाखियों का शासन हो, 5 साल से कोई राजपत्रित भर्ती नहीं’: सांसद मोहम्मद हनीफा

लद्दाख के निर्दलीय सांसद मोहम्मद हनीफा का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में शिक्षित युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, क्योंकि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35(ए) के तहत प्रदान किए गए संवैधानिक सुरक्षा उपाय अब मौजूद नहीं हैं.

कश्मीर के होंठ सिल दिए गए हैं और उसकी छाती पर भारतीय राज्य का बूट है

5 अगस्त, 2019 के बाद का कश्मीर भारत के लिए आईना है. उसके बाद भारत का तेज़ गति से कश्मीरीकरण हुआ है. नागरिकों के अधिकारों का अपहरण, राज्यपालों का उपद्रव, संघीय सरकार की मनमानी.

प्रसारण विधेयक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए ख़तरा है: कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार के प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक के बारे में कहा कि यह वीडियो डालने, पॉडकास्ट बनाने या समसामयिक मामलों के बारे में लिखने वाले किसी भी व्यक्ति को 'डिजिटल समाचार प्रसारक' मानता है और इन्हें अनावश्यक रूप से नियमों के दायरे में लाता है.

बात भारत की: पत्रकारों का संसद जाना लोकतंत्र के लिए ज़रूरी क्यों है

वीडियो: संसद के मानसून सत्र के दौरान पत्रकार कांच के 'पिंजरे' में नज़र आए. क्या यह स्थिति मोदी सरकार में मीडिया की दशा दिखाती है? वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा और द वायर की पत्रकार श्रावस्ती दासगुप्ता के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.

केंद्रीय बजट में मुस्लिमों को क्या मिला है?

इस बजट में मुसलमानों के उत्थान और उनकी शिक्षा के लिए चल रही तमाम योजनाओं में कटौती की गई है. यह स्पष्ट है कि भाजपा के लिए मुसलमान का कोई मोल नहीं है.