‘किसान आन्दोलन, ग्राउंड जीरो’ किसानों के संघर्ष को जीवंत तरीके से बयां करने वाली ज़रूरी किताब है

पुस्तक समीक्षा: आंदोलन के साथ ही आंदोलनों का दस्तावेज़ीकरण एक महत्वपूर्ण और ज़िम्मेदारी भरा काम है. पत्रकार मनदीप पुनिया ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन की यात्रा को तथ्यों के साथ रचनात्मक तरीके से दर्ज करते हुए इसी दिशा में प्रयास किया है.

कॉलेजियम बहुसदस्यीय है और उसके संभावित फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन बी. लोकुर के एक साक्षात्कार का हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 12 दिसंबर, 2018 को एक बैठक के दौरान हाईकोर्ट के दो मुख्य न्यायाधीशों को पदोन्नत करने का निर्णय उनके सेवानिवृत्त होने के बाद बदल दिया गया था. भारद्वाज ने बैठक में हुई चर्चा को सार्वजनिक करने की मांग की थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया.

कॉलेजियम प्रणाली इस देश का क़ानून है, इसके ख़िलाफ़ टिप्पणी करना ठीक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे नामों को मंज़ूर करने में केंद्र की देरी से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक यह प्रणाली है, हमें इसे लागू करना होगा. पीठ ने अटॉर्नी जनरल से यह भी कहा कि कोर्ट द्वारा कॉलेजियम पर सरकार के लोगों की टिप्पणियों को उचित नहीं माना जा रहा है.

एनजेएसी को फिर से लाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है: सरकार ने राज्यसभा में कहा

न्यायाधीशों की नियुक्ति के मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने के लक्ष्य से सरकार द्वारा लाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) क़ानून को सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में ख़ारिज कर दिया था. केंद्र की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब न्यायाधीशों की नियुक्ति की को लेकर न्यायपालिका के साथ उसका गतिरोध जारी है.

सीबीआई ने सांसदों-विधायकों के ख़िलाफ़ 56 मामले दर्ज किए, 22 मामलों में आरोप-पत्र दायर

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी कि साल 2017 और 2022 के बीच आंध्र प्रदेश में सबसे ज़्यादा सांसदों एवं विधायकों के ख़िलाफ़ 10 मामले दर्ज किए गए. 2020 में सज़ा पाने की दर 69.83 प्रतिशत दर्ज की गई, जो इन पांच सालों में सर्वाधिक है.

पिछले पांच साल में सांप्रदायिक हिंसा के 2,900 से अधिक मामले दर्ज हुए: सरकार

केरल की कांग्रेस नेता जेबी माथेर हीशम ने राज्यसभा में सरकार से मॉब लिंचिग से निपटने के लिए उठाए गए निवारक क़दमों का ब्योरा मांगा था. जिसके जवाब में सरकार की ओर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का ब्योरा दिया गया. सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भीड़ द्वारा हिंसा के संबंध में अलग से कोई आंकड़े नहीं रखता है.

नोटबंदी: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, आरबीआई को फैसले से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया

मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय के ख़िलाफ़ कई याचिकाएं सुन रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत सरकार के फैसले के गुण-दोष पर नहीं जाएगी, लेकिन वह हमेशा निर्णय लेने के तरीके पर गौर कर सकती है. सिर्फ इसलिए कि यह एक आर्थिक नीति है, इसका मतलब यह नहीं होगा कि अदालत चुपचाप बैठ जाएगी.

कोई खाली पेट न सोए, अंतिम व्यक्ति तक अनाज पहुंचाने की ज़िम्मेदारी सरकार की: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड महामारी तथा लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की हालत से संबंधित एक जनहित मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है कि एनएफएसए के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे. हमारी संस्कृति है कि कोई खाली पेट नहीं सोए.

‘चैरिटी’ का उद्देश्य धर्मांतरण नहीं होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

इस मामले में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से ‘डरा-धमकाकर, उपहार या पैसों का का लालच देकर’ किए जाने वाले कपटपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर क़दम उठाने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है.

चिड़िया को उसका घोंसला नज़र नहीं आ रहा है, पर उसके सामने खुला आसमान ज़रूर है: रवीश कुमार

अडानी समूह द्वारा एनडीटीवी में हिस्सेदारी खरीदने के बाद एनडीटीवी इंडिया के समूह संपादक रवीश कुमार ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि जनता को चवन्नी समझने वाले जगत सेठ हर देश में हैं. अगर वो दावा करें कि वे  सही सूचनाएं देना चाहते हैं, तो अर्थ है कि वो अपनी जेब में डॉलर रखकर आपकी जेब में चवन्नी डालना चाहते हैं.

कश्मीर फाइल्स पर नदाव लपिद की राय भारत की प्रतिष्ठा की चिंता का ही नतीजा है

इस्राइली फिल्मकार नदाव लपिद को लगा कि ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म समारोह की गरिमा को धूमिल करने वाली प्रविष्टि है, उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए उन्होंने ईमानदारी से अपनी राय रखी. भारत उनके लिए सत्यजित राय, मृणाल सेन, अपर्णा सेन आदि का भारत है. वे उसे अपनी निगाह में गिरते नहीं देखना चाहते.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति में हुई ‘जल्दबाज़ी’ पर सवाल उठाए

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं सुन रही है. कोर्ट ने हाल ही में हुई निवार्चन आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर कहा कि इसमें ‘बहुत तेज़ी’ दिखाई गई और उनकी फाइल 24 घंटे भी विभागों के पास नहीं रही.

सीईसी नियुक्ति: कोर्ट की टिप्पणी के समर्थन में विपक्ष, कहा- केंद्र ने चुनाव आयोग को कमज़ोर किया

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम जैसा तंत्र बनाने की मांग की गई है. पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि यह मांग पिछले दो दशकों से उठाई जा रही है लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया.

चुनाव आयोग को सरकार की ‘हां में हां मिलाने वाला’ नहीं होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका की सुनवाई में केंद्र से पूछा कि अगर कोई चुनाव आयुक्त शिकायत के बावजूद प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करे... तो क्या यह व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त होने की स्थिति नहीं होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल पेश करने को कहा

निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका सुन रही जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति संबंधी फाइल मांगते हुए कहा कि अदालत देखना चाहती है कि नियुक्तियों में किस तंत्र का पालन किया जा रहा है.

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