वीडियो: भारत का चंद्रयान-3 एक महीने और नौ दिनों की अंतरिक्ष यात्रा के बाद बीते 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा. इसे लेकर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सुर्खियां बटोरने का आरोप लग रहा है. इस मामले पर भारतीय अतंरिक्ष विज्ञान के जनक कहे जाने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की बेटी नृत्यांगना मल्लिका साराभाई से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 के ‘लैंडर’ विक्रम को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की इसरो की योजना बेशक पूरी नहीं हो सकी हो लेकिन इसका ‘गगनयान’ मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
चांद पर उतरते समय चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से इसरो का संपर्क टूट गया था. मीडिया बोल के इस अंक में इससे जुड़े मीडिया कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश दिल्ली साइंस फोरम के वैज्ञानिक डी. रघुनंदन और खगोल वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय से चर्चा कर रहे हैं.
इसरो ने कहा कि ‘चंद्रयान-2’ का लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर साबुत अवस्था में है और यह टूटा नहीं है. हालांकि, ‘हार्ड लैंडिंग’ की वजह से यह झुक गया है तथा इससे पुन: संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है.
चंद्रमा की सतह पर उतरते समय विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया था. संपर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था.
स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 को ‘विक्रम’ लैंडर और ‘प्रज्ञान’ रोवर के साथ बीते 22 जुलाई को रवाना किया गया था. ‘विक्रम’ लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए. साराभाई के नाम पर रखा गया है.
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था. इसरो ने कहा कि लैंडर ‘विक्रम’ 2 सितंबर को ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा.
स्वदेशी तकनीक से निर्मित 3,850 किलोग्राम वज़नी चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा. इसरो के अनुसार यहां अब तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. सितंबर के पहले सप्ताह में चंद्रयान-2 के चांद पर उतरने की उम्मीद है.
जीएसएलवी मार्क-III के ज़रिये होने वाला चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 14 जुलाई देर रात 2:51 बजे होना था, लेकिन तकनीकी ख़राबी के कारण इसे रोक दिया गया था.
इसरो ने इससे पहले प्रक्षेपण की तारीख जनवरी के पहले सप्ताह में रखी थी, लेकिन बाद में इसे बदलकर 15 जुलाई कर दिया था. चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके III रॉकेट के जरिये चांद पर ले जाया जाना था.