एडीआर और न्यू इलेक्शन वॉच द्वारा मौजूदा सांसदों और विधायकों के चुनावी हलफ़नामों के विश्लेषण में सामने आया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के केस का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों में सर्वाधिक नेता भाजपा के हैं. दूसरे और तीसरे स्थान पर कांग्रेस और तेदेपा हैं.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ लंबित 5,097 मामलों में से 40 फ़ीसदी से अधिक (2,122 मामले) पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ मामले लंबित हैं, क्योंकि पुलिस अधिकारी कभी-कभी ऐसे जनप्रतिनिधियों के दबाव के चलते क़ानून का अनुपालन नहीं कर पाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘क़ानून बिल्कुल साफ है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी ठहराया जाता है और उसकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई गई है तो उसकी सदस्यता चली जाएगी.’