कोरोनावायरस महामारी को सांप्रदायिक रंग देना घातक हो सकता है: रघुराम राजन

पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश में राष्ट्रवादी भावनाएं वायरस आने से पहले ही मज़बूत थी, लेकिन अब कोरोना संक्रमण के बीच यह और मुखर हो रही हैं.

झारखंड: चोरी के आरोप में भीड़ ने युवक को बेरहमी से पीटा, छह गिरफ़्तार

घटना हज़ारीबाग ज़िले में हुई, जहां रामगढ़ के पतरातू के रहने वाले 25 साल के जाबिर अंसारी को चोरी के इल्ज़ाम में उग्र भीड़ ने बेरहमी से पीटा. पीड़ित के परिजनों ने उनकी मुस्लिम पहचान के चलते पीटे जाने का आरोप लगाया है.

भारतीय मुसलमानों के लिए दोहरी मार बनकर आया है कोरोना वायरस

सब जानते हैं कि कोविड-19 एक घातक वायरस की वजह से फैला है, लेकिन भारत में इसे सांप्रदायिक जामा पहना दिया गया है. आने वाले समय में यह याद रखा जाएगा कि जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ था, तब भी मुसलमान सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो रहे थे.

झारखंड: मुस्लिम महिला का आरोप, अस्पताल के स्टाफ ने की बदसलूकी और धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणी

घटना जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की है. महिला का कहना है कि वह गर्भवती थीं और अचानक शुरू हुई ब्लीडिंग के बाद अस्पताल पहुंची थीं, जहां फर्श पर ख़ून गिर जाने पर स्टाफ ने मारपीट की. इसके बाद वह एक निजी अस्पताल गईं, जहां बताया गया कि गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई है.

भारत सीएए रद्द करे, यह उसके अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन करता है: मानवाधिकार संस्था

मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच के दक्षिण एशिया क्षेत्र की निदेशक ने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़ने की अपील की है, लेकिन उनके द्वारा मुस्लिम विरोधी हिंसा और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में एकता का आह्वान किया जाना अभी बाकी है.

कोरोना: तबलीग़ी जमात की ग़लती गंभीर है लेकिन महामारी का सांप्रदायीकरण भी कम आपराधिक नहीं है

इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकट में घिरे होने के बाद भी हम भारतीय अपनी कट्टरता, अंधविश्वास और पूर्वाग्रह से बाहर न निकलकर एक वैश्विक महामारी को भी हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बनाए दे रहे हैं.

कोरोना संकट: जंग की ललकार की नहीं, दोस्ती की पुकार की घड़ी

युद्ध असाधारण परिस्थिति उत्पन्न करता है, जहां समाचार, विचार और सामाजिक आचार सिर्फ सरकारें तय कर सकती हैं. युद्ध में सरकार से सवाल जुर्म होता है और सैनिक से बलिदान की अपेक्षा की जाती है. ऐसे में अगर डॉक्टर ख़ुद को संक्रमण से बचाने की सामग्री की मांग करते हुए काम रोक दें तो वही जनता, जो इनके लिए करतल ध्वनि के कोलाहल का उत्सव मना रही थी, इनके लिए सज़ा की मांग करेगी.

यह महामारी एक नई दुनिया में क़दम रखने का मौक़ा है

महामारियों ने हमेशा से ही इंसान को अतीत से नाता तोड़कर एक नए भविष्य की कल्पना करने के लिए मजबूर किया है. यह महामारी भी नए और पुराने के बीच एक दरवाज़ा है और यह हम पर है कि हम पूर्वाग्रह, नफ़रत, लोभ आदि के कंकाल ढोते हुए आगे बढ़ें या बिना ऐसे बोझों के एक नई और बेहतर दुनिया की कल्पना के साथ आगे निकलें.

राजस्थान: प्रशासन ने कहा- मुस्लिम होने के कारण भेदभाव का आरोप साबित नहीं हो सकता

भरतपुर के शहरी सुधार ट्रस्ट के सचिव उम्मेद लाल मीणा द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ित महिला के पति इरफान खान ने कहा कि डॉक्टरों ने व्यक्तिगत रूप से यह नहीं कहा कि आप मुस्लिम हैं और हम आपका इलाज नहीं करेंगे.

मुस्लिम गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं करने का आरोप, एंबुलेंस में जन्मे बच्चे की मौत

यह मामला राजस्थान के भरतपुर का है. गर्भवती महिला के पति इरफान खान ने कहा कि जो स्टाफ उनकी पत्नी के संपर्क में थे, उन्हें ऐसा लगा कि हम तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं.

कोरोना पर फेक न्यूज और सांप्रदायिक संदेश फैलाने वालों को नहीं छोड़ेंगे: उद्धव ठाकरे

दिल्ली के निजामुद्दीन मामले को लेकर सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण संदेशों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के अलावा बांटने वाला भी एक वायरस है. मैं ऐसे लोगों को चेतावनी देता हूं कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई कानून आपको न बचा पाए.

तबलीग़ी जमात के बहाने मुसलमानों के ख़िलाफ़ पुरानी नफ़रत का हमला

मुसलमानों के शुभचिंतक तबलीग़ वालों को कड़ी सज़ा देने, यहां तक कि उसे प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं. इस एक मूर्खतापूर्ण हरकत ने सामान्य हिंदुओं में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बैठे पूर्वाग्रह पर एक और परत जमा दी है. ऐसा सोचने वालों को क्या यह बताने की ज़रूरत है कि हिंदू हों या ईसाई, उनमें बैठे मुसलमान विरोध का कारण मुसलमानों की जीवनशैली या उनके एक हिस्से की मूढ़ता नहीं है.

आईआईटी कानपुर की जांच समिति ने कहा, फ़ैज़ की नज़्म गाने का समय और स्थान सही नहीं था

आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्रवाई और जामिया के छात्रों के समर्थन में फ़ैज अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' को सामूहिक रूप से गाए जाने पर फैकल्टी के एक सदस्य द्वारा आपत्ति दर्ज करवाई गई थी.

दिल्ली दंगों के बाद क्या थी दिल्ली सरकार की ज़िम्मेदारी और उसने क्या किया?

दंगा प्रभावित लोगों के लिए आम जनता की तरफ से किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है. दंगे में अपना सब कुछ खो चुके निर्दोष लोगों को सरकार की तरफ से सम्मानजनक मदद मिलनी चाहिए थी न कि उन्हें समाज के दान पर निर्भर रहना पड़े.

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