सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा और सीवर, सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई के ख़तरनाक चलन को समाप्त करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे, चाहे कुछ भी हो जाए. अदालत ने जोड़ा कि यह मुद्दा मानवीय गरिमा के सवाल से जुड़ा है.
सफाई कर्मचारी आंदोलन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह महीनों में 43 मैनुअल स्कैवेंजरों की मौत हुई है. संगठन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाड़ा विल्सन ने
उनके लिए बजट में आवंटित धनराशि को 'बहुत कम' बताते हुए कहा कि सफाईकर्मियों की भलाई सरकार की प्राथमिकता में नहीं है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी डेटा के मुताबिक देश के कुल 766 ज़िलों में से सिर्फ 508 ने ही ख़ुद को मैला ढोने (मैनुअल स्केवेंजिंग) से मुक्त घोषित किया है. देश में पहली बार 1993 में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया था. बाद में 2013 में क़ानून बनाकर इस पर पूरी तरह से बैन लगाया गया.