चुनाव परिणाम से साफ़ है कि बिहार के अल्पसंख्यक भाजपा के तेवर और उसके नेताओं के नफ़रत से भरे बयानों से बेहद नाराज़ हैं और उससे भी ज़्यादा नाराज़गी नीतीश कुमार की चुप्पी को लेकर है.
आम जनमानस में उर्दू मुसलमानों की भाषा बना दी गई है, शायद यही वजह है कि रमज़ान की मुबारकबाद देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने उर्दू को चुना. सच यह है कि जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे कई मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उर्दू नहीं बोली जाती.
अगर आप केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ट्विटर टाइमलाइन देखेंगे, तो आपको पता नहीं लगेगा कि देश में क्या चल रहा है.
रविवार को नरेंद्र मोदी के ज़ोर-शोर से हुए रोड शो में एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन हुआ, जो 82 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का महज़ 8.36 किमी है.
जन गण मन की बात की 250वीं कड़ी में विनोद दुआ उपचुनावों के दौरान ईवीएम में आई ख़राबी और पिछले चार सालों के दौरान लोक विमर्श की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.
भाजपा के राज्यसभा सांसद अमर साबले ने कहा कि लोगों के खाते में 15 लाख रुपये जमा कराए जाएंगे, यह भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में कभी शामिल नहीं था.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में एकजुटता दिखाने वाले विपक्ष के नेताओं के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वे 2019 के आम चुनावों तक साथ बने रहेंगे?
एनडीए सरकार द्वारा दिसंबर 2014 में पर्यावरण क़ानून में इस तरह के बदलाव किए गए, जिससे वेदांता के तूतीकोरिन प्रोजेक्ट जैसे कुछ विशेष प्लांट को इससे प्रभावित होने वाले लोगों के राय-मशविरे के बिना बनाने की मंज़ूरी मिली.
कैराना लोकसभा उपचुनाव से ठीक एक दिन पहले 27 मई को बागपत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली है. लेकिन इससे पहले पांच दिन से धरने पर बैठे एक किसान की मौत हो गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले चार साल में विकास जन आंदोलन बन गया है. अमित शाह ने कहा कि मोदी ने वंशवाद की राजनीति को ख़त्म किया.
देश को बदलते-बदलते प्रधानमंत्री ख़ुद बदलकर मौनमोदी हो गए हैं. कथित गोरक्षक किसी को मार डालें, कोई बच्ची बलात्कारियों की वहशत का शिकार हो जाए या डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी रिकॉर्ड तोड़ दे, वे अपना मौन तभी तोड़ते हैं, जब उन्हें अपने मन की बात कहनी होती है.
हर सरकार के दौर में एक राजनीतिक संस्कृति पनपती है. मोदी सरकार के दौर में झूठ नई सरकारी संस्कृति है. जब प्रधानमंत्री ही झूठ बोलते हैं तो दूसरे की क्या कहें. दूसरी संस्कृति है धर्मांधता की.
वेदांता की छवि हमेशा से ही पर्यावरण और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाली कंपनी की रही है. दिलचस्प ये है कि कंपनी नरेंद्र मोदी सरकार के 'विकास एजेंडा' के झंडाबरदारों में से एक है.
बिहार से ग्राउंड रिपोर्ट: लाखों दलहन किसान अपनी फसल को लागत से कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं.
जन गण मन की बात की 249वीं कड़ी में विनोद दुआ पेड न्यूज़ को लेकर कोबरापोस्ट के स्टिंग आॅपरेशन और प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी पर चर्चा कर रहे हैं.