पेगासस मामले पर पूछे गए सवाल पर रोक के लिए केंद्र ने राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखा

भाकपा सांसद बिजॉय विश्वम ने राज्यसभा में केंद्र सरकार से पूछा था कि सरकार ने इज़रायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के साथ कोई समझौता किया था या नहीं? इस पर केंद्र को 12 अगस्त को राज्यसभा में जवाब देना था. सरकार ने राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा है कि इस मामले में कई जनहित याचिकाएं दायर किए जाने के बाद से यह सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इसका जवाब नहीं दिया जाना चाहिए.

पेगाससः जस्टिस अरुण मिश्रा का पुराना नंबर, सुप्रीम कोर्ट कर्मियों, वकीलों के नंबर भी शामिल

पेगासस प्रोजेक्ट: एनएसओ ग्रुप के लीक डेटाबेस में मिले भारतीय नंबरों की फेहरिस्त में सुप्रीम कोर्ट के जज रहे जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा पूर्व में इस्तेमाल किए गए एक नंबर के साथ नीरव मोदी और क्रिश्चियन मिशेल के वकीलों के नंबर भी मिले हैं, जो संभावित सर्विलांस के निशाने पर थे.

पेगासस जासूसी मामले में एसआईटी जांच की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा एडिटर्स गिल्ड

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका में कहा गया कि प्रेस की आज़ादी पत्रकारों की रिपोर्टिंग में सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा हस्तक्षेप नहीं किए जाने पर निर्भर होती है, जिसमें सूत्रों के साथ सुरक्षा व गोपनीयता के साथ बात करने की उनकी क्षमता, सत्ता के दुरुपयोग एवं भ्रष्टाचार की जांच, सरकारी अक्षमता का खुलासा करना, और सरकार के विरोध में या विपक्ष से बात करना शामिल है.

ग़ैर-चुनावी अवधि में भी 150 करोड़ रुपये से अधिक का चुनावी बॉन्ड बेचा गया

आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चला है कि एक जुलाई से 10 जुलाई के बीच 17वें चरण में कलकत्ता ब्रांच से 97.31 करोड़ रुपये, चेन्नई ब्रांच से 30 करोड़ रुपये और हैदराबाद ब्रांच से 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे.

सच बाहर लाने के लिए फोन निगरानी से जुड़े पहलुओं की जांच की जानी चाहिए: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के सहयोगी दलों के ऐसे पहले नेता हैं, जिन्होंने पेगासस प्रोजेक्ट के खुलासों की जांच की मांग की है. द वायर समेत दुनिया के 17 संस्थानों ने बताया था कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से ज़्यादा पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं समेत 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग हुई या वे संभावित निशाने पर थे.

पेगासस प्रोजेक्ट: बिहार के स्वतंत्र पत्रकार संजय श्याम की क्यों हुई जासूसी

वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में बिहार के स्वतंत्र पत्रकार संजय श्याम का नाम भी शामिल है. इस विषय पर द वायर ने उनसे बातचीत की.

नॉर्थ ईस्ट डायरी: जासूसी की संभावित सूची में पूर्वोत्तर के नेताओं के नाम के क्या मायने हैं

वीडियो: इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में पेगासस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सामने आई संभावित सर्विलांस की लिस्ट में असम और नगालैंड के नेता तथा मणिपुर के लेखक का नंबर मिलने और असम-मिज़ोरम सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

आप जासूस कमाल के हैं, राजा कैसे बन गए

युवाओं की टीम ने जनता का हाल जानने के लिए राजा को कई सारा आइडिया दिया, मगर सब ख़ारिज हो गए. राजा को रात में निकलना पसंद नहीं आ रहा था. राजा ने समझाया कि इस शहर के चप्पे-चप्पे पर उसकी तस्वीर लगी है. इसलिए बाहर निकलते ही पहचाने जाने का ख़तरा है. तभी एक सदस्य ने कहा कि फोन की जासूसी करते हैं.

पेगासस: यह आम सर्विलांस नहीं, जेब में जासूस लेकर चलने से भी आगे की बात है

टेक्नोलॉजी को वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन इसे मुक्त बाज़ार में अनियंत्रित, क़ानूनी उद्योग के रूप में काम करने की इजाज़त देने की ज़रूरत नहीं है. इस पर क़ानून की लगाम होनी चाहिए. तकनीक रह सकती है, लेकिन उद्योग का रहना ज़रूरी नहीं है.

मोदी सरकार पेगासस जासूसी के दुष्प्रभावों को कब तक नज़रअंदाज़ कर सकती है?

पत्रकारिता संस्थान अपने संसाधनों के चलते सीमित होते है, इसलिए राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर केवल वास्तविक जांच से ही पेगासस के उपयोग की सही स्तर का पता चलेगा.

इस सरकार के झूठ की कोई इंतिहा ही नहीं

बीते 20 जुलाई को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से राज्यसभा में कहा गया कि कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की अप्रत्याशित मांग के बावजूद किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में इसके अभाव में किसी व्यक्ति के मरने की उसे जानकारी नहीं है. उसके पास इस बात की जानकारी भी नहीं है कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित किसानों में से अब तक कितने अपनी जान गंवा चुके हैं.

राकेश अस्थाना की नियुक्ति के ख़िलाफ़ दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया

दिल्ली विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि पुलिस प्रमुख पद के लिए सिर्फ ऐसे अधिकारियों पर विचार किया जा सकता है, जिनकी सेवानिवृत्ति में कम से कम छह महीने बचे हों.

दिल्ली के नए पुलिस आयुक्त बनाए गए पूर्व विशेष सीबीआई निदेशक राकेश अस्थाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने एजीएमयूटी कैडर से बाहर गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को मंज़ूरी दी है. अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई है. उनका कार्यकाल एक साल का होगा.

पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार, पूछा- सरकार बताए स्पायवेयर प्रयोग किया या नहीं

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल है, ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में शामिल थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग की गई या वे संभावित निशाने पर थे.

प्रधानमंत्री को संसद में बताना चाहिए कि जासूसी हुई या नहीं: पी. चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को भी उठाता है, क्योंकि अगर सरकार कहती है कि उसने निगरानी नहीं की, तो सवाल उठता है कि जासूसी किसने की.

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