यूपी: डॉक्टरों ने एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला को छूने से इनकार किया, शिशु की मौत

मामला फिरोज़ाबाद का है. एचआईवी पॉजिटिव महिला के परिवार का आरोप है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा के बावजूद कई घंटों तक उन्हें छूने से मना किया. अस्पताल प्रमुख के हस्तक्षेप के बाद महिला की डिलीवरी हुई, जिसके कुछ घंटे बाद ही नवजात की मौत हो गई. अस्पताल ने जांच के आदेश दिए हैं.

एचआईवी दवाओं की कमी संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा

देश में एचआईवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कमी को लेकर एक गैर सरकारी संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की गई है कि केंद्रीय चिकित्सा सेवा समिति और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की समय पर खरीदी करें.

सुप्रीम कोर्ट ने यौनकर्मियों को आधार कार्ड जारी किए जाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी एक प्रोफार्मा प्रमाण-पत्र के आधार पर यौनकर्मियों को आधार कार्ड जारी किए जाने का निर्देश दिया और कहा कि यौनकर्मियों की गोपनीयता भंग नहीं होनी चाहिए और उनकी पहचान उजागर नहीं की जानी चाहिए.

संक्रमित सुई से एड्स की चपेट में आने वाले हर सौ भारतीय में 35 पंजाब के: आरटीआई

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने बताया कि 2011-12 से 2020-21 के बीच पंजाब में 15,924 लोग असुरक्षित सुइयों के इस्तेमाल के कारण एचआईवी संक्रमित हुए. वहीं, देश में पिछले 10 साल के दौरान संक्रमित सुइयों के चलते 45,864 लोग एड्स के मरीज़ बन गए.

यौनकर्मियों की पहचान का आधार नाको की ओर से मुहैया सूची तक सीमित नहीं रहे: सुप्रीम कोर्ट

29 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने राज्यों को पहचान के सबूत के बिना ही यौनकर्मियों को राशन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. अब कोर्ट ने समुदाय आधारित संगठनों से अपने क्षेत्रों में यौनकर्मियों की एक सूची तैयार कर उसे संबंधित ज़िला क़ानूनी सेवा प्राधिकरण या नाको द्वारा सत्यापित करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा करते हुए राज्य के अधिकारी मामले में गोपनीयता बनाए रखें.

अदालत ने पहचान के सबूत के बिना ही यौनकर्मियों को राशन उपलब्ध कराने का राज्यों को निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को चार हफ़्ते के भीतर इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट दाख़िल करने का भी निर्देश दिया है कि कितनी यौनकर्मियों को राशन दिया गया. एक याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से यौनकर्मियों की स्थिति बहुत ही ख़राब है. उन्हें राशन कार्ड और दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है.