#मीटू: कैजुअल स्टाफ यूनियन ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और राष्ट्रीय महिला आयोग जांच के आदेश देने के पांच महीने बाद भी आकाशवाणी ने कोई कार्रवाई नहीं की है. एक शिकायतकर्ता का कहना है कि अगर आकाशवाणी ने इस मामले को नहीं सुलझाया तो वह 15 अप्रैल से आमरण अनशन पर बैठेंगी.
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में समूह ने कहा कि बलात्कार पीड़िता और पांच अन्य नन लगातार एक-दूसरे से अलग किए जाने और केरल से दूर भेजने के खतरे का सामना कर रही हैं. सरकार इन ननों को सुरक्षा मुहैया करा रही है पर अगर उन्हें दूसरे कॉन्वेंट में भेजा गया तो उनकी जान को खतरा पैदा हो सकता है.
इससे पहले, प्रदर्शन में भाग लेने वाली चार ननों को तबादला आदेश जारी किया गया था. इसके बाद कथित पीड़िता नन और चार अन्य ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को पत्र लिख कर अपने तबादला आदेश के क्रियान्वयन पर मामले की सुनवाई पूरी होने तक रोक सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था.
राष्ट्रीय महिला आयोग में अध्यक्ष पद को छोड़कर सभी पांच सदस्यों के पद ख़ाली हैं. आयोग को मज़बूत करने के लिए बनाया गया विधेयक भी अप्रैल 2015 से ही प्रधानमंत्री कार्यालय में लंबित है.
परिवारवालों ने मामले की गहन जांच कराने की मांग की. फादर के भाई ने आरोप लगाया कि बिशप फ्रैंको मुलक्कल के करीबी लोगों द्वारा बार-बार उन्हें धमकाया जा रहा था. उन्होंने उनकी कार क्षतिग्रस्त कर दी थी और जालंधर में उनके घर पर पथराव भी किया था.
एंकर नीलू व्यास को चैनल की ओर से नोटिस उनके द्वारा राज्यसभा टीवी के एक वरिष्ठ अधिकारी के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवाने के दो हफ़्ते बाद मिला है.
बलात्कार मामले में आरोपी जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल ने पोप फ्रांसिस को पत्र लिखकर अस्थायी तौर पर पद छोड़ने की पेशकश की. विभिन्न कैथोलिक सुधार संगठनों और ननों के एक समूह का कोच्चि में पिछले 10 दिन से विरोध प्रदर्शन जारी.
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि हर किसी को अपनी मांग रखने का अधिकार है लेकिन ‘मुझे नहीं लगता कि पुरुष आयोग की कोई जरूरत है.’
बीते 19 जून को पांच युवतियां विस्थापन एवं मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के अभियान के तहत झारखंड के खूंटी ज़िले के कोचांग गांव गई हुई थीं. स्कूल से अगवाकर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.
सरोजिनी नायडू ने मदन मोहन मालवीय को ‘रुढ़िवादी-प्रगतिशील नेता’ कहा था. संघ परिवार ने अपने एजेंडा के लिए उनके रुढ़िवादी पहलू का तो इस्तेमाल किया, लेकिन उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया.
बीएचयू के महिला महाविद्यालय की एक छात्रा ने कैंपस में होने वाले लैंगिक भेदभाव और पितृसत्तात्मक सोच के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय महिला आयोग से मदद की अपील की है.