भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के ऑडिट में अनियमितताओं को चिह्नित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इसके तहत 3,446 मरीज़ों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिन्हें डेटाबेस में पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था.
आम नागरिकों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे के साथ तीन साल पहले शुरू हुई प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत शामिल राज्यों में क़रीब 54 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाने थे. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब तक 22 करोड़ 10 लाख लाभार्थियों के ही कार्ड बन सके हैं.
विशेषज्ञों ने कहा है कि राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य दुनिया की सबसे बड़ी केंद्रीयकृत डिजिटल पहचान परियोजनाओं में से एक को लागू करना है, लेकिन वर्तमान मसौदा नीति में संरचनात्मक समस्याएं हैं तथा कई बातों को लेकर स्पष्टता भी नहीं है.