भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के ऑडिट में अनियमितताओं को चिह्नित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इसके तहत 3,446 मरीज़ों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिन्हें डेटाबेस में पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था.
विशेषज्ञों ने कहा है कि राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य दुनिया की सबसे बड़ी केंद्रीयकृत डिजिटल पहचान परियोजनाओं में से एक को लागू करना है, लेकिन वर्तमान मसौदा नीति में संरचनात्मक समस्याएं हैं तथा कई बातों को लेकर स्पष्टता भी नहीं है.
कोविड-19 संक्रमण के बीच गरीबी रेखा से नीचे वाले गंभीर रोगों के मरीज़ों के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना बुरी तरह प्रभावित है. आंकड़े बताते हैं कि बीते तीन महीनों में देश भर के सरकारी व निजी अस्पतालों में योजना के तहत भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या में 20 प्रतिशत की कमी आई है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के तहत लाखों फ़र्ज़ी गोल्डन कार्ड बनाए गए. अधिकतर मामले गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पंजाब के अस्पतालों में हुए. अकेले गुजरात सरकार ने 15 हज़ार फ़र्ज़ी कार्ड रद्द किए, पर अब भी पांच हज़ार कार्ड फ़र्ज़ी होने की आशंका है.
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने आयुष्मान भारत योजना में इस फ़र्ज़ीवाड़े का खुलासा किया है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में योजना का दुरुपयोग करने के मामले सामने आए हैं.