निर्मोही अखाड़े के एक वरिष्ठ महंत का कहना है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 'प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पूजा और अनुष्ठानों का पालन करने में 500 साल पुरानी परंपराओं का पालन नहीं किया है. रामलला की अर्चना रामानंदी परंपराओं से की जाती है, लेकिन ट्रस्ट मिली-जुली रीतियां कर रहा है, जो उचित नहीं है.'
यह सोचना मूर्खतापूर्ण है कि अयोध्या पर आया फ़ैसला सांप्रदायिक सद्भाव लाएगा. 1938 के म्यूनिख समझौते की तरह तुष्टीकरण सिर्फ आक्रांताओं की भूख को और बढ़ाने का काम करता है.
शनिवार को शीर्ष अदालत ने उन लोगों के पक्ष में फ़ैसला दिया, जो सीधे तौर पर बाबरी मस्जिद गिराने के मुख्य आरोपियों से जुड़े हुए हैं. और यह देश के लिए ठीक नहीं है.
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को छोड़कर मामले के अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में बयान दाखिल कर कहा है कि वे उन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं करते हैं, जो मीडिया में लीक हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने यह सुलहनामा मध्यस्थता समिति के सदस्य श्रीराम पंचू के ज़रिये दाख़िल किया है.
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई करते हुए आखिरी समय में हस्तक्षेप को लेकर दाखिल किए गए एक आवेदन को अस्वीकार करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बुधवार को कहा कि इस मामले में बहस शाम 5 बजे समाप्त हो जाएगी.
अयोध्या मामले के संभावित फैसले के अलावा दीपोत्सव, चेहल्लुम और कार्तिक मेले को लेकर धारा 144 दो महीने तक अयोध्या जिले में लागू रहेगी.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने धमकी देने का आरोप लगाते हुए पूर्व सरकारी अधिकारी एन. षणमुगम और राजस्थान निवासी संजय कलाल बजरंगी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी.
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के माध्यम से मध्यस्थता का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई जारी रहेगी.
शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री से यह भी जानना चाहा कि अगर ऐसा करना संभव हो तो इसके लिए कितना समय चाहिए.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने इससे पहले उन्हें धमकी देने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी. धवन की याचिका पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने दोनों व्यक्तियों को नोटिस जारी किए थे.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पूर्व सरकारी अधिकारी एन षणमुगम और राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी के खिलाफ शुक्रवार को शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी.
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने आठवें दिन की सुनवाई के दौरान एएसआई की रिपोर्ट के साथ विवादित ढांचा ढहाने के समय की 'पाञ्चजन्य' पत्रिका की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर बना हुआ था.
विवादित भूमि पर मंदिर के अस्तित्व के सवाल पर रामलला के वकील की ओर से 1950 की निरीक्षण रिपोर्ट और ढांचे के भीतर देवताओं की तस्वीरों का एक एलबम भी पीठ को सौंपते हुए कहा गया कि इस तरह के चित्र मस्जिदों में नहीं बल्कि मंदिरों में होते हैं.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर रामलला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था.