नेशनल चिकित्सा आयोग द्वारा लाए गए अनिवार्य इंटर्नशिप के मसौदा नियम, 2021 के अनुसार एमबीबीएस छात्रों के लिए बारी-बारी से प्रशिक्षण के कार्यक्रम में एक सप्ताह का प्रशिक्षण किसी भारतीय चिकित्सा पद्धति या आयुष की किसी एक विधा में होना चाहिए. आईएमए ने इसे हटाने की मांग करते हुए ग़ैर ज़रूरी बताया है.
संसद ने हाल ही में भारतीय चिकित्सा परिषद के स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग गठित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी. भारतीय चिकित्सा संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडेकर का कहना है कि ये फैसला जन विरोधी है. इससे स्वास्थ्य शिक्षा एवं डाक्टरों की गुणवत्ता में कमी आएगी.
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के कई प्रावधानों पर डॉक्टरों एवं मेडिकल छात्रों को आपत्ति है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिसमें एमबीबीएस डिग्री धारकों के अलावा गैर चिकित्सकीय लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को लाइसेंस देने की बात की गई है.
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2017 (मेडिकल बिल) को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेज दिया है.