पीटीआई के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार 179 सदस्यों के समर्थन से बनी थी लेकिन इसकी प्रमुख सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान के विपक्षी पीपीपी के साथ समझौते के बाद इमरान ख़ान की पार्टी के पास 164 सदस्यों का समर्थन रह गया है. नेशनल असेंबली में पाकिस्तान के संयुक्त विपक्ष के अब 177 सदस्य हैं और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के लिए विपक्ष को 172 मतों की ज़रूरत है.
मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सामने बीते 17 जून को उस समय राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था, जब छह विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था, जबकि भाजपा के तीन विधायक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सत्ता और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे के ख़िलाफ़ ऐसी चार्जशीट बनाने की हड़बड़ी में थे, जिसे 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता की अदालत में पेशकर जता सकें कि उसके सबसे बड़े और सच्चे शुभचिंतक वास्तव में वही हैं.
मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा जारी है. चर्चा की शुरुआत तेदेपा के जयदेव गल्ला ने की. बीजद के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार करते हुए सदन से वाकआउट कर गए. अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान शिवसेना अनुपस्थित रहेगी.
राहुल गांधी ने कहा, ‘चौकीदार नहीं, भागीदार हैं प्रधानमंत्री, उन्हें पूरा विपक्ष मिलकर हराएगा.’