मथुरा में मांस बिक्री पर रोक का असली मक़सद और संभावित नतीजे क्या हैं?

योगी सरकार के मथुरा में मीट बैन के आदेश की वैधता पर कोई विवाद नहीं है क्योंकि इस पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पहले से ही मौजूद है, लेकिन इसके असली इरादे और संभावित परिणामों पर निश्चित ही बहस होनी चाहिए क्योंकि ये बड़े पैमाने पर लोगों के हक़ों, उनकी आजीविका और सुरक्षा से जुड़ा है.

शाकाहारवाद महज़ आहार का मामला नहीं है…

तामसिक भोजन पर रोक, अंडा-मांसाहार पर पाबंदी जैसी बातें भारत की जनता के वास्तविक हालात से कतई मेल नहीं खातीं, क्योंकि भारत की आबादी का बहुलांश मांसाहारी है. साथ ही, किसी इलाक़े विशेष की नीतियां बनाने के लिए लोगों के एक हिस्से की आस्था को वरीयता देना एक तरह से धर्म, जाति, नस्लीयता आदि आधार पर किसी के साथ भेदभाव न करने की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन भी है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार ज़िले में बूचड़खानों पर लगी रोक पर उठाया सवाल

इस साल मार्च में उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार ज़िले को बूचड़खानों से मुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया था और बूचड़खानों के लिए जारी अनापत्ति पत्रों को भी रद्द कर दिया था. अदालत ने कहा कि सभ्यता का आकलन केवल इस बात से किया जा सकता है कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है और हरिद्वार में इस पाबंदी से सवाल उठता है कि राज्य किस हद तक नागरिकों के विकल्पों को तय कर सकता है.

रेलवे का प्रस्ताव, गांधी जयंती पर ट्रेनों में न परोसा जाए मांसाहारी खाना

रेलवे बोर्ड ने एक प्रस्ताव पेश किया है जिसमें दो अक्टूबर 2018, 2019 और 2020 को रेलवे परिसरों में यात्रियों को मांसाहार नहीं परोसे जाने की बात कही है.