पिंजरा तोड़ सदस्य देवांगना कलीता की गिरफ़्तारी के बाद हुए कुछ ट्वीट्स पर दिल्ली पुलिस को आपत्ति थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि ट्वीट्स में जिहादी, वामपंथी साज़िश जैसे नैरेटिव 'हिंदुत्व की मशीनरी' द्वारा फैलाने की बात की गई है, लेकिन यह नहीं कहा गया कि पुलिस यह मशीनरी है.
सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन संबंधी मामले में गिरफ़्तार जेएनयू छात्रा और पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता देवांगना कलीता की एक याचिका पर पुलिस द्वारा दायर हलफनामे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कई आरोप लगाए गए हैं जो याचिका के दायरे से परे हैं और इन्हें वापस लिया जाना चाहिए.
दिल्ली पुलिस ने अदालत में दाख़िल आरोप-पत्र में कहा गया है कि सभी आरोपी मुस्लिमों से ‘बदला’ लेने के लिए 25 फरवरी को बनाए गए एक वॉट्सऐप ग्रुप ‘कट्टर हिंदुत्व एकता’ से जुड़े थे. आरोपियों ने इसका इस्तेमाल आपस में संपर्क में रहने और एक दूसरे को लोग, हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने के लिए किया था.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ जाफराबाद हिंसा के एक आरोपी शाहरुख ने अपने बयान में पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता देवांगना कलीता और नताशा नरवाल का नाम लिया था. शाहरुख ने कहा कि हिंसा में आंखों की रोशनी लगभग खो देने के कारण उसे नहीं पता कि पुलिस ने उससे जिस बयान पर दस्तख़त कराए, उसमें क्या लिखा था.
पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता देवांगना कलीता और नताशा नरवाल को दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर गिरफ्तार किया गया था. चूंकि कलीता एक और मामले में गिरफ्तार हैं और उनसे पूछताछ चल रही है, इसलिए वे अभी जेल में बंद रहेंगी.
दिल्ली कोर्ट ने कहा कि केस के तथ्यों से पता चलता है कि आरोपी सिर्फ एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, किसी हिंसा में शामिल नहीं थे.
गिरफ़्तार की गईं दोनों कार्यकर्ता नताशा नरवाल और देवांगना कलीता जेएनयू की छात्राएं हैं. पिंजरा तोड़ संगठन की ओर से कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने बीते कुछ महीनों में कई छात्रों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. हम इसकी पुरज़ोर निंदा करते हैं.