जन गण मन की बात, एपिसोड 221: नाकाम मोदी सरकार और बट्टा खाता

जन गण मन की बात की 221वीं कड़ी में विनोद दुआ नरेंद्र मोदी सरकार की नाकामी और 2.41 लाख करोड़ रुपये के क़र्ज़ को बट्टे खाते में डालने पर चर्चा कर रहे हैं.

सरकारी बैंकों ने 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला: सरकार

वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप ​शुक्ला ने राज्यसभा में रिज़र्व बैंक के हवाले से एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी.

पीएनबी घोटाले के बाद कनिष्क गोल्ड के ख़िलाफ़ 824 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज

कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के प्रवर्तक निदेशक और निदेशक के ख़िलाफ़ भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत पर एफआईआर दर्ज. 14 बैंकों के गठजोड़ से कंपनी के प्रवर्तकों ने लिया था ऋण.

‘बैंक कर्मचारियों को बीमा और म्यूचुअल फंड बेचने वाला सेल्समैन बना दिया गया है’

देश के कई राज्यों से आए सरकारी बैंक कर्मचारियों ने नई दिल्ली के संसद मार्ग पर विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया.

हम बैंकों को स्वच्छ बनाने के लिए नीलकंठ बनने को तैयार हैं: उर्जित पटेल

आरबीआई गवर्नर पटेल ने पीएनबी घोटाले पर कहा, ‘मैंने आज बोलना इसलिए तय किया ताकि यह बता सकूं कि बैंकिंग क्षेत्र के घोटाले एवं अनियमितताओं से आरबीआई भी गुस्सा, तकलीफ और दर्द महसूस करता है.’

जन गण मन की बात, एपिसोड 205: बैंक डिफॉल्टर और भाजपा की जीत

जन गण मन की बात 205वीं कड़ी में विनोद दुआ जान-बूझकर कर्ज न चुकाने वाले बैंक डिफॉल्टरों और पूर्वोत्तर के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत पर चर्चा कर रहे हैं.

सार्वजनिक बैंकों ने 38 क़र्ज़दारों के 516 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2017 तक कुल 1,762 डिफाल्टरों के ऊपर भारतीय स्टेट बैंक का 25,104 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों का 8,915 डिफाल्टरों पर 92,376 करोड़ रुपये बकाया है.

किसानों के मुक़ाबले उद्योग जगत पर नौ गुना ज़्यादा एनपीए: आरटीआई

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, किसानों का एनपीए 66,176 करोड़ है, तो उद्योगों का एनपीए 5,67,148 करोड़ रुपये है. कुल एनपीए में निजी बैंकों के मुक़ाबले सार्वजनिक बैंकों का एनपीए आठ गुना ज़्यादा है.

आर्थिक सुधारों के बाद से उद्योग घरानों ने ही बैंकों को लूटा है

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें हो रही हैं.

मोदी सरकार में घोटालेबाज़ों को आसानी से देश छोड़ने की सहूलियत: करात

पीएनबी घोटाले पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी को लेकर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि वह ‘मौनेंद्र मोदी’ बन गए हैं.

सब कुछ बदलने का वादा करके आए मोदी ने भ्रष्ट आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ाया

आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब ​नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.

प्रधानमंत्री जी, आम लोगों की मेहनत की कमाई से कॉरपोरेट लूट की भरपाई कब तक होती रहेगी?

पिछली सरकारों में व्यवस्था को अपने फ़ायदे के लिए तोड़ने-मरोड़ने वाले पूंजीपति मोदी सरकार में भी फल-फूल रहे हैं.

स्टेट बैंक ने 20 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला

वित्त वर्ष 2016-17 में हज़ार करोड़ से ऊपर की राशि बट्टे खाते में डालने वाले स्टेट बैंक ने अप्रैल से नवंबर 2017 के बीच न्यूनतम बैलेंस न रखने पर आम ग्राहकों से 1,771 करोड़ का जुर्माना वसूला था.

बैंकों ने पांच वर्षों में 2,30,287 करोड़ का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला: सरकार

लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि पिछले पांच वर्ष की अवधि के दौरान बैंकों के 2,30,287 करोड़ रुपये के क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाल दिया गया.

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