केरल के भाजपा प्रवक्ता बी. गोपालकृष्णन ने राज्य सरकार के नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगाने पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री विजयन ने एनपीआर लागू नहीं किया तो केंद्र द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्य को मिलने वाला राशन नहीं दिया जाएगा.
एक तरफ सरकार जहां इस बात से इनकार कर रही है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध है, वहीं अपने पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में कम से कम नौ बार बताया था कि एनआरसी को एनपीआर आंकड़ों के आधार पर पूरा किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने की मंज़ूरी दे दी है. विपक्ष ने इसे देशव्यापी एनआरसी की तरफ सरकार का पहला कदम बताया है.
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर राज्यों के विरोध के बीच गृह मंत्रालय ने इसे अपडेट करने के लिए कैबिनेट से करीब चार करोड़ करोड़ रुपये मांगे हैं. साथ ही अब से इस प्रक्रिया में माता-पिता का जन्मस्थान और जन्मतिथि भी बतानी होगी, जो पिछले एनपीआर में नहीं पूछा जाता था.
इससे पहले विदेशी नागरिक प्राधिकरण कारगिल युद्ध में भाग ले चुके मोहम्मद सनाउल्लाह और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान मामुद अली को भी विदेशी घोषित कर चुका है. सनाउल्ला की घटना के तुरंत बाद, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि किसी भी जवान को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी.
एनआरसी के प्रकाशन को आगे बढ़ाने की मांग करते हुए एबीवीपी ने कहा कि वर्तमान सूची में बहुत से मूल निवासियों के नाम छूटे हैं और अवैध प्रवासियों के नाम जोड़े गए हैं. जब तक इसे दोबारा सत्यापित कर सौ फीसदी 'त्रुटिहीन' नहीं बनाया जाता, इसका प्रकाशन नहीं होना चाहिए.
गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा गया कि अगर किसी का नाम सूची में नहीं है तो वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में 120 दिन के अंदर अपील दायर कर सकते हैं. यह समय सीमा पहले 60 दिन की थी.
बीते मई में विदेशी न्यायाधिकरण आदेश में हुए संशोधन ने विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए देश भर में ऐसे न्यायाधिकरण खोले जाने की संभावना के बारे में बहस की शुरुआत की, जिसके बाद इसे लेकर गृह मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया. जानिए क्या हैं विदेशी न्यायाधिकरण और इससे जुड़े नियम.