वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में स्वच्छ भारत अभियान के लिए उतनी ही राशि आवंटित की गई है, जितनी पिछले साल की गई थी. स्वच्छ भारत अभियान- शहरी के तहत 2,300 करोड़ रुपये और ग्रामीण के तहत 9,994 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह बीते तीन साल के बजट की तुलना में सबसे कम है.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण के तहत बने क़रीब 61 फीसदी घरों में बिजली का कनेक्शन और लगभग 33 फीसदी घरों में एलपीजी कनेक्शन नहीं है.
ये सर्वेक्षण जुलाई 2018 से दिसंबर 2018 के बीच में कराया गया था. स्वच्छ भारत मिशन डेटाबेस के मुताबिक उस समय तक भारत के 95 फीसदी घर खुले में शौच से मुक्त हो चुके थे. हालांकि एनएसओ सर्वे में पाया गया कि सिर्फ 71 फीसदी घर ही खुले में शौच से मुक्त हो पाए थे.
आंकड़े दिखाते हैं कि किसी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने में सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हुआ है.
वीडियो: गांधी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ग्रामीण भारत ने खुद को खुले में शौच से मुक्त कर लिया है. इस दावे में कितनी सच्चाई है, इस बारे में चर्चा कर रहे हैं द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद और कबीर अग्रवाल.
सड़क से संसद में हम राजस्थान के रास्ते गुजरात पहुंच चुके हैं, जहां हम चलेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मस्थान मेहसाणा ज़िले में. गुजरात के इस ज़िले को आधिकारिक तौर पर खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है, लेकिन जब हम यहां के वड़नगर शहर पहुंचे, तो यहां के रहवासियों ने 'स्वच्छ भारत' की एक अलग ही कहानी सुनाई.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 14.4 करोड़ घरेलू शौचालयों के 72 करोड़ लोगों के इस्तेमाल से प्रतिदिन औसतन एक लाख टन अपशिष्ट निकलता है. इसके उचित निस्तारण के इंतजाम नहीं होने पर अपशिष्ट से जमीन और भूजल के दूषित होने का खतरा है.
केंद्र सरकार ने इस साल फरवरी में लोकसभा को बताया था कि गुजरात सहित 11 राज्यों को स्वच्छ भारत मिशन के तहत ओडीएफ घोषित किया गया है.
उत्तराखंड सरकार द्वारा 31 मई, 2017 को घोषणा की गई कि उसने राज्य में खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति प्राप्त कर ली है.
राजस्थान के एक गांव में प्रशासन ने फरमान जारी किया है कि जो भी अपने घर में शौचालय होने का प्रमाण नहीं दे पाएगा, उसे राशन भी नहीं दिया जाएगा.