विवादित तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी के बाद कृषि संगठन मांग कर रहे हैं कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 से अधिक किसानों को उचित मुआवज़ा प्रदान किया जाएगा, जिनका विस्तृत ब्यौरा उनके पास उपलब्ध है.
राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने सदन में पूछा था कि क्या आप्रवासी भारतीयों को एयरपोर्ट पर परेशान कर उन्हें वापस भेजने के मामले सामने आए हैं और क्या उनसे प्रदर्शनकारी किसानों की मदद बंद करने के लिए कहा गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसे संसद में पूछे जाने वाले सवालों की सूची से हटा दिया गया.
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का आंदोलन पिछले साल 26-27 नवंबर को ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ था. इन क़ानूनों को सरकार ने वैसे तो वापस ले लिया है, लेकिन किसानों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलन के एक साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर और इसके बाद देशभर में आंदोलन को व्यापक रूप से धार दी जाएगी. 29 नवंबर से इस संसद सत्र के अंत तक 500 चुनिंदा किसान शांतिपूर्वक और पूरे अनुशासन के साथ ट्रैक्टर से हर दिन संसद तक जाएंगे.
केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे 26 नवंबर को एक साल पूरा हो जाएगा. इन प्रदर्शनों की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा है, जिसमें किसानों के कई संघ शामिल हैं. राकेश टिकैत की अगुवाई वाली भारतीय किसान यूनियन भी इसमें शामिल है. उसके समर्थक दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर ग़ाज़ीपुर में धरना दे रहे हैं.