हाईकोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा जारी आदेश का कोई तार्किक आधार नहीं है. कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि उनके आदेश का ये मतलब नहीं कि स्कूल ऑनलाइन शिक्षा को अनिवार्य बना सकते हैं या फिर इसके लिए अतिरिक्त फीस वसूल सकते हैं.
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने के बाद अब राज्य सरकारें मोबाइल और टीवी के ज़रिये छात्रों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं. ऐसी कोशिश बिहार सरकार द्वारा भी की गई है, लेकिन आर्थिक-सामाजिक असमानता के बीच प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों तक इन माध्यमों से शिक्षा पहुंचा पाना बेहद कठिन है.
घटना मलप्पुरम के वलान्चेरी की है. पुलिस के अनुसार एक दिहाड़ी मज़दूर की यह 14 वर्षीय बेटी दसवीं में पढ़ती थी. सोमवार से राज्य में स्कूलों की ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हुई थीं, घर में टीवी या स्मार्टफोन न होने के चलते वह इसमें हिस्सा न ले पाने के चलते परेशान थी.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने घरेलू परीक्षाओं को 'ओपन बुक एग्जाम' मोड में लेने के निर्देश दिए हैं, जिसके लिए तकनीकी संसाधन अनिवार्य हैं. लेकिन असमान वर्गों से आने वाले छात्रों के पास ये संसाधन हैं, यह कैसे सुनिश्चित किया गया? अगर विश्वविद्यालय ने उन्हें दाखिले के समय लैपटॉप या स्मार्ट फोन मुहैया नहीं करवाया तो वह इनके आधार पर परीक्षा लेने की बात कैसे कर सकता है?
कोरोना संकट के दौर में शैक्षणिक संस्थानों के आगे जो चुनौती है उसमें ऑनलाइन एक स्वाभाविक विकल्प है. ऐसे समय में विद्यार्थियों से जुड़ना समय की ज़रूरत है, लेकिन इस व्यवस्था को कक्षाओं में आमने-सामने दी जाने वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकल्प बताना भारत के भविष्य के लिए अन्यायपूर्ण है.