संपत्ति मौद्रिकरण योजना: रेलवे, टेलीकॉम और पेट्रोलियम क्षेत्र वित्त वर्ष 2023 के लक्ष्य से दूर

राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन के तहत केंद्र की महत्वाकांक्षी संपत्ति मौद्रिकरण योजना में वित्त वर्ष 2022-23 में रेलवे, दूरसंचार व पेट्रोलियम क्षेत्र तय निर्धारित लक्ष्यों से पिछड़ गए हैं, जिसके चलते योजना लक्ष्य से चूकती दिख रही है. नतीजतन, राजस्व और निवेश में लक्ष्य के मुकाबले लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये की कमी हो सकती है.

सात साल की अवधि में मोदी सरकार की पेट्रोलियम क्षेत्र से कमाई में 186 प्रतिशत की वृद्धि हुई

राज्यसभा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 में भाजपा के सत्ता में आने से पहले पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर था. यह मई, 2020 में रिकॉर्ड वृद्धि के साथ क्रमश: 32.98 रुपये और 31.83 रुपये प्रति लीटर हो गया. केंद्र ने 2014-15 में पेट्रोलियम क्षेत्र में शुल्क और करों से 1.72 लाख करोड़ रुपये कमाए थे, जो 2021-22 में बढ़कर

सरकार ने निर्यात प्रोत्साहन के लिए घोषित की 50,000 करोड़ रुपये की योजना

सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय की है जब भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात अगस्त में एक साल पहले की तुलना में 6.05 प्रतिशत नीचे आ गया है. अगस्त में देश से वस्तुओं का निर्यात 26.13 अरब डॉलर रहा.

इंजीनियरिंग सामान, रत्न और आभूषण के निर्यात में गिरावट, अगस्त में निर्यात छह प्रतिशत कम रहा

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2019 में निर्यात वाले 30 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से 22 में गिरावट दर्ज की गई. वहीं, अगस्त 2016 के बाद अगस्त 2019 में आयात में सबसे ज़्यादा गिरावट आई है.