भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वित्त पोषित एक अध्ययन के लिए कुल 464 मरीज़ों को शामिल किया गया था. इस दौरान प्लाज़्मा थेरेपी वाले 235 मरीज़ों में से 34 और स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट लेने वाले 229 मरीज़ों में से 31 की मौत हुई थी.
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि परीक्षण के दौर से गुजर रही प्लाज़्मा थेरेपी के बारे में अभी तक पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं कि इससे कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है.
तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मुस्लिम और जमातियों से अपना ब्लड प्लाज़्मा दान करने की अपील की थी.
प्लाज़्मा तकनीक में कोरोना वायरस के संक्रमण से उबर चुके व्यक्ति के ख़ून की एंडीबॉडी का इस्तेमाल कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए किया जाता है.