हाल ही में केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत बनाए गए नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा अनुदान को मंज़ूरी दी है. लेकिन कोविड-19 जैसी आपदा के दौर में जब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बेहतरी के लिए इसमें मिली राशि का प्रयोग किया जा सकता है, इसमें दान देने के बारे में आम जनता को बेहद कम जानकारी है.
संसद की बेहद महत्वपूर्ण लोक लेखा समिति की बैठक में प्रस्ताव रखा गया था कि वो कोरोना संकट पर सरकार के प्रबंधन की जांच-पड़ताल करेगी. हालांकि भाजपा सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया और जांच करने से रोक दिया.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स के गठन जायज़ ठहराते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत एक क़ानूनी कोष यानी नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के होने मात्र से स्वैच्छिक दान के लिए अलग कोष के सृजन पर रोक नहीं है.
पीएम केयर्स फंड की कार्यप्रणाली बहुत ही अपारदर्शी है और इसे आरटीआई एक्ट के दायरे से भी बाहर कर दिया गया, जिसके कारण पता नहीं चल पा रहा है कि वाकई ये फंड किस तरह से काम कर रहा है, कौन इसमें डोनेशन दे रहा है और इसमें प्राप्त राशि को किन-किन कार्यों में ख़र्च किया जा रहा है?
वीडियो: भाजपा ने आरोप लगाया है कि 2005-06 में चीन सरकार द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन को दान दिया गया था, तो कांग्रेस ने दावा किया है कि पीएम केयर्स फंड में कई चीनी कंपनियों से डोनेशन लिया गया है. इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
तेलंगाना की तरह कोरोना के इलाज के संबंध में कर्नाटक ने केंद्र से 1,300 वेंटिलेटर मांगे थे, लेकिन सरकार का कहना है कि उन्हें अब तक सिर्फ़ 90 वेंटिलेटर दिए गए हैं.
उन लोगों के लिए ये राहत भरा क़दम हो सकता है जो उचित पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं होने के कारण पीएमएनआरएफ और पीएम केयर्स फंड में अनुदान देने को लेकर संशय की स्थिति में थे.
करीब 15 साल पहले पारित किए गए आपदा प्रबंधन अधिनियम में ये प्रावधान दिया गया है कि आम जनता या संस्थान नेशनल डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) में अनुदान दे सकते हैं, लेकिन इसे लेकर अब तक कोई अकाउंट नहीं बनाया गया है. पीएम केयर्स के विपरीत इस फंड पर आरटीआई एक्ट लागू है और इसकी ऑडिटिंग कैग करता है.
याचिका में कहा गया है कि चूंकि पीएम केयर्स फंड की कार्यप्रणाली अपारदर्शी है और इसे आरटीआई एक्ट के दायरे से भी बाहर रखा गया है, इसलिए इसमें प्राप्त धनराशि को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किया जाए, जिस पर आरटीआई एक्ट भी लागू है और इसकी ऑडिटिंग कैग करता है.
प्रधानमंत्री कार्यालय की बेवसाइट में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का वित्तीय वर्ष के अंत में एक ऑडिट किया जाएगा और यह 27 मार्च, 2020 को नई दिल्ली में एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया गया था.
पीएम केयर्स फंड में प्राप्त हुई राशि और इसके ख़र्च का विवरण सार्वजनिक करने से मना करने के बाद अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने फंड में अनुदान को कर मुक्त करने और इसे सीएसआर ख़र्च मानने के संबंध में दस्तावेज़ों का खुलासा करने से मना कर दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पीएम केयर्स फंड के संबंध में सूचनाएं सार्वजनिक करने और इसका कैग से ऑडिट कराने की मांग की गई है. केंद्र की ओर से दलील दी गई है कि ये याचिका ख़ारिज कर दी जानी चाहिए, क्योंकि ऐसी ही एक याचिका को अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी.
आरटीआई के तहत पीएम केयर्स फंड से जुड़े पत्राचार की प्रति, फंड में प्राप्त हुए कुल अनुदान, इस फंड से खर्च की गई राशि और उन कार्यों का विवरण जिसमें पैसे खर्च किए गए हैं, ये सभी सूचनाएं मांगी गई थीं. पीएमओ ने कहा कि ये जानकारी नहीं दी सकती क्योंकि पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.
द वायर ने पीएम केयर्स खाते में प्राप्त कुल अनुदान, खाते से निकाली गई राशि, अनुदान प्राप्ति और पैसा निकासी के संबंध में पीएमओ के साथ पत्राचार और पीएम केयर्स खाता को बनाने से जुड़े दस्तावेजों को मुहैया कराने की मांग की थी.