द वायर हिंदी पर प्रकाशित वे 10 आलेख, जो साल 2017 में सबसे ज़्यादा पढ़े गए.
प्रधानमंत्री मोदी की पाकिस्तान के साथ मिलकर साज़िश संबंधी कथित टिप्पणी पर गतिरोध जारी. दोनों सदनों में कांग्रेस मोदी के माफ़ी मांगने तक अड़ी.
राहुल ने मीडिया से कहा, आप प्रधानमंत्री से सवाल क्यों नहीं पूछते जिन्होंने एक व्यवसायी की मदद के लिए पूरे राफेल सौदे को ही बदल दिया.
गुजरात चुनाव का कार्यक्रम नहीं घोषित करने पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने चुनाव आयोग की आलोचना की.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने कहा कि हमारे पास रोज़गार को लेकर ठोस आंकड़ा नहीं है.
अरुण जेटली ने सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, हमें उम्मीद थी कि जब हमारी सरकार बनेगी तो अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में आगे बढ़ेंगे लेकिन जिस गति से योजनाओं पर काम होना था वो नहीं हुआ.
यशवंत सिन्हा लिखते हैं, ‘प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को नज़दीक से देखा है. उनके वित्त मंत्री सुनिश्चित कर रहे हैं कि देशवासियों को भी इसे उतने ही पास से देखने का मौका मिले.’
चिदंबरम ने कहा, सरकार आर्थिक गिरावट को लेकर बेखबर, अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी रखने वाले और उद्योग जगत के लोग भयभीत हुए बिना बोलें.
बिगड़ती अर्थव्यवस्था और मोदी सरकार की नाकामी को लेकर पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के लेख पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.
राहुल का जेटली पर तंज, 'देवियों एवं सज्जनों, मैं आपका सह पायलट एवं वित्त मंत्री बोल रहा हूं. कृपया अपनी सीट बेल्ट बांध लें. हमारी जहाज के पंख गिर गए हैं.'
अगर 50 वर्षों के हिसाब से देखा जाए, तो मुद्रास्फीति में अंतर के हिसाब से जापान को चुकाई जाने वाली रकम कहीं ज़्यादा बड़ी होगी.
प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा, पालघर में छोटे किसान हैं. अगर परियोजना के लिए उनकी ज़मीन का अधिग्रहण हुआ तो वे बर्बाद हो जाएंगे.
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के भाषण में नोटबंदी संबंधी आंकड़ों पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- या तो प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं या रिज़र्व बैंक.
अगर दो लाख शेल कंपनियां बंद हुई हैं, जो ब्लैक मनी को व्हाइट कर रही थीं तो क्या प्रधानमंत्री बता सकते हैं कि कितने लाख लोगों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हुए है?