8 सितंबर को भारत पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इसी दिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मिले थे. अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ आए पत्रकारों को इस मुलाक़ात से दूर रखा गया था.
नाम बदलकर बदलाव का भ्रम रचना दरअसल ऐसा करने वालों द्वारा यह स्वीकार लेना है कि उनके पास अपने काम से कोई बदलाव लाने का न बूता बचा है, न विवेक. अन्यथा अब तक वे इतना तो समझ ही गए होते कि ग़ुलामी के प्रतीकों की उनकी समझ कितनी नासमझी भरी है.
नागरिकों को कर्तव्यपरायण होने के लिए प्रोत्साहित करना तानाशाही शासन का एक प्रमुख अंग है. इसे पहली बार आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा लाया गया था. तब से जिन सरकारों ने भी आम लोगों के अधिकारों की अवहेलना की, उन्होंने अक्सर अपने फ़र्ज़ की बजाय नागरिकों के कर्तव्यों के महत्व को ही दोहराया.