बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने साल 2009 से 2024 के बीच शेख़ हसीना सरकार द्वारा हस्ताक्षरित सभी प्रमुख बिजली सौदों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है, जिसमें अडानी समूह के साथ हुआ सौदा शामिल है.
पिक्चर पोस्टकार्ड: बांग्लादेश का हिंदू चुभती हुई पीड़ा के साथ जी रहा है. अपने मुल्क में वह पराया हो गया है, और भारतीय सत्ता उसे 'दीमक' कह कर लांछित करती आ रही है.
पिछले महीने आए बांग्लादेश उच्च न्यायालय के एक आदेश से सारा विवाद शुरू हुआ था, जिसमें वर्ष 2018 के प्रधानमंत्री शेख हसीना के कोटा प्रणाली ख़त्म करने के फैसले को पलटकर फिर से आरक्षण लागू कर दिया गया था.
प्रदर्शनकारी बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के लिए समान अवसर की मांग कर रहे हैं, जहां मुक्ति संग्राम के सेनानियों, अल्पसंख्यकों और आदिवासी समुदायों के लिए विशेष आरक्षण की व्यवस्था है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस आरक्षण प्रणाली के कारण योग्य उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में सरकारी रोज़गार से वंचित किया जा रहा है.