कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने यह भी कहा कि जरूरतमंदों के लिए तीन महीने तक अस्थायी राशन कार्ड मुहैया कराने की जरूरत है.
देश में एक राशन कार्ड पर एक किलो दाल के आधार पर एक महीने के लिए 2,36,000 टन दाल की जरूरत है. लेकिन केवल 19,496 टन यानी कि 8.2 फीसदी दाल का ही अभी तक राज्यों में वितरण हुआ है.
देश के 24 राज्यों के 529 ज़िलों में कुल मिलाकर 14.13 करोड़ राशन कार्ड हैं, जिसमें से अब तक में 8.49 करोड़ राशन कार्ड पर ही अनाज दिया गया है. इसका मतलब है कि अब भी 5.64 करोड़ राशन कार्ड पर अतिरिक्त राशन मिलना बाकी है.
उत्तर प्रदेश में गोरखपुर ज़िले के रहने वाले सुनील दिल्ली में रहते थे. चेचक से मौत हो गई. लॉकडाउन और गरीबी की वजह से परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे पार्थिव शरीर को पैतृक गांव में ला पाते, इसलिए बेटे को एक पुतले का अंतिम संस्कार करना पड़ा.
केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम के पास उपलब्ध अधिशेष चावल को एथनॉल में तब्दील करने की योजना को मंजूरी दे दी. विपक्षी दलों समेत कई विशेषज्ञों ने इसकी आलोचना की है.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि हमें कम से कम इतना करने की जरूरत है ताकि लोगों को ये विश्वास हो कि समाज उनकी चिंता करता है और उनकी न्यूनतम देखभाल सुनिश्चित है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन 15 राज्यों के 270 ज़िलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बने 5.70 करोड़ राशन कार्ड में 1.43 करोड़ राशन कार्ड पर ही इस महीने अब तक अतिरिक्त राशन मिला है. मतलब अब भी 75 फीसदी राशन कार्ड धारकों को इसका लाभ नहीं मिला है.