दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता को कथित रूप से अवैध हथियार रखने के मामले फंसाने की साजिश के लिए एक और व्यक्ति को समन जारी किया.
सीबीआई ने पीड़िता और उनके वकील के बयान अब तक दर्ज न हो पाने का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से चार सप्ताह का समय और मांगा था.
राजस्थान सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले की जांच में हुई खामियों और अदालत के निर्णय की समीक्षा के लिए बुलाई गई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया.
राजस्थान की अदालत ने अपने फैसले में मामले की एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी पर पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि यह जांच अधिकारी की ओर से बरती गई गंभीर लापरवाही दिखाता है. इससे पहले बुधवार को अदालत ने मामले में छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.
साल 2017 में गो-तस्करी के आरोप में 55 वर्षीय पहलू ख़ान को राजस्थान के अलवर में भीड़ ने पीट-पीटकर मार दिया था. मामले में पुलिस ने पहलू ख़ान द्वारा शिनाख्त किए गए सभी छह आरोपियों को क्लीनचिट दे दी थी.
सीबीआई ने इस आरोप से इनकार किया है और कहा कि जांच अधिकारी ने मामले में पूरी निष्पक्षता के साथ सबूत इकट्ठा किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बलात्कार पीड़िता, उनकी मां, परिवार के अन्य सदस्यों और उनके अधिवक्ता को सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया करायी जाए. वहीं, सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि 2017 में मामले की जांच के दौरान यूपी पुलिस का रवैया लापरवाही भरा रहा.
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के साथी शशि सिंह के ख़िलाफ़ भी नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप तय किए हैं.
सीबीआई ने अदालत को बताया कि विधायक और उसके सहयोगियों ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें 17 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के पिता पर देशी पिस्तौल और पांच कारतूस रखने का आरोप लगाया था.
एम्स के डॉक्टरों ने बताया है कि पीड़िता और उनके वकील की हालत अब भी नाज़ुक हैं. उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है.
सीबीआई ने दिल्ली की तीस हजारी अदालत में कहा कि जांच में पता चला है कि आरोपी कुलदीप सेंगर द्वारा जून 2017 में पीड़िता के साथ बलात्कार और शशि सिंह के साथ साज़िश में शामिल होने के आरोप सही हैं.
उन्नाव बलात्कार पीड़िता के वकील को मंगलवार सुबह बेहतर इलाज के लिए विशेष एयर एंबुलेंस से लखनऊ से दिल्ली लाया गया. वह अभी भी कोमा में हैं.
विधायक कुलदीप सेंगर को तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने का आदेश दिल्ली की अदालत ने दिया है. इससे पहले जान का खतरा बताने पर बीते 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली जेल में बंद पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था.
पीड़िता बीते आठ दिनों से लखनऊ के केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं. सोमवार को अस्पताल की ओर से बताया गया कि पीड़िता और उनके वकील की हालत गंभीर लेकिन स्थिर है. पीड़िता हादसे के नौ दिन बाद होश में आई हैं जबकि वकील अब भी कोमा में हैं.
पिछले महीने 28 जुलाई को रायबरेली में एक तेज रफ्तार ट्रक ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता की कार को टक्कर मार दी थी. हादसे में पीड़िता के परिवार के दो सदस्यों की मौत हो गई. मामले की जांच सीबीआई कर रही है.