हल्‍द्वानी में हुई हिंसा प्रशासनिक चूक थी: कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश

वीडियो: उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में बीते 8 फरवरी को कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण के बाद हिंसा भड़क उठी थी. इस पूरे मामले को लेकर हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश से द वायर के याक़ूत अली की बातचीत.

हल्‍द्वानी हिंसा: किन परिस्थितियों में रह रहे हैं बनभूलपुरा के लोग

वीडियो: उत्तराखंड में हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में बीते 8 फरवरी को कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण के बाद भड़की हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई थी. द वायर के याक़ूत अली ने इलाके के दौरा कर वहां रह रहे लोगों से बातचीत की और हालात का जायज़ा लिया.

क्या हल्द्वानी में ‘मस्जिद-मदरसे’ के ध्वस्तीकरण और उससे उपजी हिंसा की न्यायिक जांच की जाएगी?

हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण ने ज़िला प्रशासन की कार्यप्रणाली की कथित ख़ामियों को उजागर किया है. उत्तराखंड की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को भी इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करना है कि जहां तक अल्पसंख्यक अधिकारों का सवाल है, उनके अनुपालन में वह आज तक कितनी चुस्त रही है.

अयोध्या में तो राम भी मोदीमय हैं!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आगमन की तैयारियां भी रामलला के स्वागत की तैयारियों से कमतर नहीं हैं. स्ट्रीट लाइट्स पर मोदी के साथ भगवान राम के कट-आउट्स लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई पीएम के कट-आउट्स से भी कम है. यह भ्रम होना स्वाभाविक है कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम आएंगे या प्रधानमंत्री मोदी को आना है?

आस्थाओं के शोर में विवेक की बेदख़ली!

जहां तक धार्मिक आस्थाओं की बात है, उन्हें यों भी समझ सकते हैं कि प्राय: सभी धार्मिक समूहों में ऐसी पवित्र पुस्तकें और बानियां हैं, जिन्हें परमेश्वरकृत ‘परम प्रामाणिक सत्य’ माना जाता है. इनमें आस्था इस सीमा तक जाती है कि उनमें जो कुछ भी कहा या लिखा गया है, वही संपूर्ण सत्य और ज्ञान है और जो उनमें नहीं है, वह न सत्य है, न ज्ञान.

धर्म और भगवान को चुनाव में ब्रांड एंबेसडर बना देने से संविधान तथा देश की रक्षा कैसे होगी?

सवाल है कि राम मंदिर को लेकर 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला सुनाए जाने के बाद पूरे चार साल तक मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही. जवाब यही है कि 2024 के आम चुनावों के कुछ दिन पहले ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बहाने हिंदुत्व का डंका बजाकर वोटों की लहलहाती फसल काटना आसान बन जाए.

कुणाल कामरा वीडियो मामला: एनसीपीसीआर ने ट्विटर के अधिकारी को तलब किया

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा द्वारा पोस्ट किए ‘एडिटेड’ वीडियो के संबंध में कार्रवाई रिपोर्ट जमा न करने के लिए ट्विटर इंडिया के संचार निदेशक को तलब किया है. आरोप है कि कामरा ने प्रधानमंत्री मोदी के जर्मनी दौरे के दौरान एक बच्चे द्वारा गाए गीत को ‘महंगाई डायन खाए जात है’ गीत से बदल दिया था.

पीएम मोदी के सामने गीत गा रहे बच्चे के वीडियो में छेड़छाड़ पर कामरा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग

स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बर्लिन दौरे के एक बच्चे का संपादित किया हुआ वीडियो पोस्ट किया और मूल देशभक्ति गाने की जगह उसमें फिल्म ‘पीपली लाइव’ का गाना ‘महंगाई डायन खाए जात है’ लगा दिया था. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कामरा के आधिकारिक अकाउंट के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए.