प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आगमन की तैयारियां भी रामलला के स्वागत की तैयारियों से कमतर नहीं हैं. स्ट्रीट लाइट्स पर मोदी के साथ भगवान राम के कट-आउट्स लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई पीएम के कट-आउट्स से भी कम है. यह भ्रम होना स्वाभाविक है कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम आएंगे या प्रधानमंत्री मोदी को आना है?
जहां तक धार्मिक आस्थाओं की बात है, उन्हें यों भी समझ सकते हैं कि प्राय: सभी धार्मिक समूहों में ऐसी पवित्र पुस्तकें और बानियां हैं, जिन्हें परमेश्वरकृत ‘परम प्रामाणिक सत्य’ माना जाता है. इनमें आस्था इस सीमा तक जाती है कि उनमें जो कुछ भी कहा या लिखा गया है, वही संपूर्ण सत्य और ज्ञान है और जो उनमें नहीं है, वह न सत्य है, न ज्ञान.
सवाल है कि राम मंदिर को लेकर 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला सुनाए जाने के बाद पूरे चार साल तक मोदी सरकार हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही. जवाब यही है कि 2024 के आम चुनावों के कुछ दिन पहले ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बहाने हिंदुत्व का डंका बजाकर वोटों की लहलहाती फसल काटना आसान बन जाए.
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि राम मंदिर का उद्घाटन धर्म के खुले राजनीतिकरण का प्रतिनिधित्व करता है, जो संविधान के सिद्धांतों के विपरीत है. इसका मुक़ाबला करने की रणनीति धर्मनिरपेक्षता का सख़्ती से पालन करना है. आप नरम हिंदुत्व या नरम भगवा दृष्टिकोण बनकर धार्मिक कट्टरवाद का मुक़ाबला नहीं कर सकते.
14 विपक्षी दलों की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि जांच एजेंसियों का उपयोग करने का एक स्पष्ट पैटर्न उभरा है. पूरे विपक्ष और अन्य मुखर नागरिकों को निशाना बनाने, उन्हें कमज़ोर करने और उन्हें संदिग्ध आधार पर जेल में डालने के लिए, इनका इस्तेमाल किया जा रहा है.
वीडियो: ईडी का विपक्षी पार्टियों को लेकर अब तक का पूरा कामकाज कैसा रहा है? कितने केस दर्ज किए गए? कितने का ट्रायल हुआ, कितनों को सजा मिली? कौन-कौन से बड़े मामले हैं? ईडी के पूरे ढांचे और कामकाज पर जानकारों की क्या राय है? इन्हीं बातों की पड़ताल इस वीडियो में की गई है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार राजनीतिक लाभ के लिए सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, इसलिए वे इस मामले में तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. 14 विपक्षी दलों की ओर दायर इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 5 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने एक बयान में कहा है कि कोई भी व्यक्ति राम, हनुमान या हिंदू धर्म पर आस्था रखता है या रख सकता है, अंतर सिर्फ़ इतना है कि इन पर हमारी आस्था राजनीतिक लाभ-हानि से परे होती है.