लगता है कि घोषणा रस में विह्वल प्रधानमंत्री जी भूल गए कि वे दिल्ली में एक संवैधानिक सरकार चलाते हैं कोई दरबार-ए-ख़ास नहीं कि जिसे जी चाहा अशर्फ़ियों से लाद दिया और जिसे जी चाहा कालकोठरी में डाल दिया.
लगता है कि घोषणा रस में विह्वल प्रधानमंत्री जी भूल गए कि वे दिल्ली में एक संवैधानिक सरकार चलाते हैं कोई दरबार-ए-ख़ास नहीं कि जिसे जी चाहा अशर्फ़ियों से लाद दिया और जिसे जी चाहा कालकोठरी में डाल दिया.