दुमका कोषागार से गबन के मामले में लालू पर 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
जन गण मन की बात की 215वीं कड़ी में विनोद दुआ फेसबुक से जुड़े डेटा चोरी विवाद और लोकपाल की नियुक्ति को लेकर अन्ना हज़ारे द्वारा फिर से आंदोलन शुरू करने पर चर्चा कर रहे हैं.
हम भी भारत की 26वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के एक साल पूरे होने पर स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित और द वायर के अजय आशीर्वाद से चर्चा कर रही हैं.
लोहिया कहते थे कि किसी शख़्सियत का जन्मदिन मनाने या उसकी मूर्ति लगाने से, उसके निधन के 300 साल बाद तक परहेज रखना चाहिए ताकि इतिहास निरपेक्ष होकर यह फैसला कर पाए कि वह इसकी हक़दार थी या नहीं.
जन गण मन की बात की 214वीं कड़ी में विनोद दुआ इराक़ में मारे गए 39 भारतीयों को लेकर केंद्र सरकार के खुलासे पर चर्चा कर रहे हैं.
शरद यादव ने कहा कि भाजपा द्वारा फैलायी जा रही सांप्रदायिकता को सामाजिक न्याय का आंदोलन ही रोक सकता है. आज सामाजिक विषमता का आलम यह है कि किसान, दलित और ग़रीब तबका बेहद दिक्कत में हैं.
जन गण मन की बात की 213वीं कड़ी में विनोद दुआ 62 विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देने के फैसले और दिल्ली में हो रहे राष्ट्र रक्षा महायज्ञ पर चर्चा कर रहे हैं.
राज बब्बर ने इस्तीफ़े का स्पष्ट कारण नहीं बताया. उनसे पहले गोवा में पार्टी प्रमुख शांताराम नाइक ने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया था.
जन गण मन की बात की 212वीं कड़ी में विनोद दुआ एनडीए के घटक दलों में भाजपा से बढ़ती नाराज़गी और कांग्रेस की कमज़ोरियों पर चर्चा कर रहे हैं.
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के बाद अगर नोटबंदी को लेकर जांच के आदेश दिए गए तो यह 1947 के बाद से सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आ सकता है.
सीबीआई अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 12 लोगों को इस मामले में सबूतों के अभाव में बाइज़्ज़त बरी कर दिया.
हमारे महान खिलाड़ियों को जनता सिर-आंखों पर बैठाती है, मगर जनता पर जब ऐसी कोई त्रासदी बरपा करती है- जिसके लिए सरकार या समाज का एक वर्ग ज़िम्मेदार हो तो वे ऐसे विलुप्त हो जाते हैं, गोया इस दुनिया में रहते न हों.
गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों के उपचुनाव में भाजपा की हार और सरकार की किरकिरी के बाद शुक्रवार देर रात प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा फेरबदल किया गया है.
केंद्र की मोदी सरकार में सत्ता का जो स्वरूप दिखाई दे रहा है, कुछ वैसा ही स्वरूप माकपा शासित राज्यों में दिखाई देता था.
भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं. कांग्रेस, एआईएडीएमके, टीएमसी, एनसीपी और सीपीएम ने टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान किया.