वीडियो: देश का एक वर्ग मानता है कि चीन की तरह भारत में भी जनसंख्या नियंत्रण का कठोर क़ानून बना दिया जाए, तो भारत की तरक्की को कोई रोक नहीं सकता है. हालांकि, बताया जा रहा कि चीन की तरह भारत में एक संतान की नीति लागू करना ख़तरनाक साबित हो सकती है.
भाजपा सांसद रवि किशन ने जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के प्रावधान वाला एक निजी विधेयक लोकसभा में पेश किया है. इसका उद्देश्य लोगों को दो से अधिक बच्चों को जन्म देने से हतोत्साहित करना है. इसमें कहा गया है कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी नौकरियों और सरकारी सुविधा और सब्सिडी के लिए अयोग्य बनाया जाना चाहिए.
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने रायपुर में हुए एक कार्यक्रम के दौरान जनसंख्या नियंत्रण क़ानून को लेकर किए सवाल के जवाब में कहा कि जब इससे बड़े और मज़बूत फ़ैसले लिए गए हैं, तो इसको भी पूरा किया जाएगा.
यह तथ्य है कि योगी आदित्यनाथ सरकार हमेशा अपने मक़सद को पाने के लिए बेहतर और बिना ज़ोर-ज़बरदस्ती वाले तरीकों की बजाय धमकाने या डर दिखाने वाले उपायों को तरजीह देती है. इसका ताज़ा नमूना हाल में में लाया गया जनसंख्या नियंत्रण विधेयक है.
विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीनों पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रस्तावित जनसंख्या क़ानून को ज़रूरी बताते हुए कहा कि बढ़ती आबादी प्रदेश के विकास में बाधा बनी हुई है. पर क्या यह बाधा अचानक आ खड़ी हुई? अगर नहीं, तो इसे लेकर तब उपयुक्त कदम क्यों नहीं उठाए गए, जब उनकी सरकार के पास उसे आगे बढ़ाने का समय था?
योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के तहत दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक होगी. यदि इस आधार पर राज्य के भाजपा विधायकों का मूल्यांकन किया जाएगा, तो इनके पचास फीसदी इस कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे.
विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का प्रारूप जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस प्रारूप में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का प्रस्ताव है.
विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) विधेयक-2021 का प्रारूप जारी करते हुए 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस प्रारूप में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने और सरकारी योजनाओं का भी लाभ न दिए जाने का प्रस्ताव है.