नीति आयोग के अनुसार, बहराइच उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब ज़िला है, जिसमें कुल आबादी के 55 फीसदी लोग गरीबी में जीवन बसर करते हैं. लेकिन हाल के दशकों में निरंतर ताकतवर होते गए हिंदुत्ववादियों को यह त्रासद या अपमानजनक नहीं लगता.
ब्लू कॉलर नौकरियों में शारीरिक श्रम या कौशल वाले रोजगार शुमार होते हैं- जैसे कि कंडक्टर, मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, मजदूर आदि. वर्कइंडिया की रिपोर्ट बताती है कि ऐसी 57.63 प्रतिशत से अधिक नौकरियां 20,000 या उससे कम वेतन सीमा में आती हैं.
घटना धलाई ज़िले की है. महिला ने अस्पताल में बच्ची को जन्म देने के अगले ही दिन उसे 5,000 रुपये में एक दंपति को बेच दिया. महिला के पति ने गरीबी के कारण पांच महीने पहले आत्महत्या कर ली थी.
द वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब द्वारा प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि भारत के सबसे अमीर 1% लोगों के पास राष्ट्रीय आय का 22.6% हिस्सा है, जो एक सदी से भी अधिक है. जबकि निचली 50% आबादी की हिस्सेदारी 15% है. कांग्रेस ने 'अरबपति राज' को बढ़ावा देने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना की है.
मानव विकास पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, चीन और श्रीलंका उच्च मानव विकास श्रेणी में क्रमशः 75वें और 78वें स्थान पर हैं, जबकि मध्यम श्रेणी में रखा गया भारत, भूटान (125) और बांग्लादेश (129) से भी नीचे 134वें स्थान पर है.
वीडियो: हाल ही में केंद्र सरकार ने घरेलू व्यय सर्वे रिपोर्ट जारी करते हुए ने यह दावा किया कि भारत में महज 5% से कम ग़रीबी रह गई है. जानकारों ने इस दावे के साथ सर्वे की मेथाडोलॉजी पर भी सवाल तो उठाए हैं. क्या इस सर्वे के आंकड़े विश्वसनीय हैं? इस बारे में वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार वी. श्रीधर से अजय कुमार की बातचीत.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसी कार्यक्रम की चकाचौंध के पीछे वास्तविकता को छिपाने की कला में महारत हासिल कर लिया है. यही देश और इसकी अर्थव्यवस्था के लिए संकट बन गया है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने 45 साल की उच्चतम बेरोज़गारी दर के साथ भारत को बेरोज़गारी में ‘विश्वगुरु’ बना दिया है.
नीति आयोग के रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2022-23 तक नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी ग़रीबी से बाहर आ गए हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार इन लोगों को कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त राशन के सुरक्षा से बाहर करने के लिए साज़िश रच रही है. पार्टी ने कहा कि यह ‘भाजपा के ईको सिस्टम का स्पष्ट झूठ’ है.
वीडियो: नीति आयोग की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में बीते 9 वर्षों में 24.8 करोड़ से अधिक लोग ग़रीबी से बाहर निकले हैं. इस दावे और इस नतीजे पर पहुंचने की मेथडोलॉजी पर अर्थशास्त्रियों ने सवाल उठाए हैं. इस बारे में अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा से बात कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.
नीति आयोग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में बीते 9 वर्षों में 24.8 करोड़ से अधिक लोग ग़रीबी से बाहर निकले हैं. अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इन दावों के आधार के तौर पर इस्तेमाल किया गया बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) गरीबी का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.
नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बहुआयामी ग़रीबी 2013-14 में 29.17 फीसदी से घटकर 2022-23 में 11.28 फीसदी हो गई. इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आ गए हैं. ग़रीबी में सबसे ज़्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में दर्ज की गई है.
वीडियो: साल 2023 में आमदनी, बेरोज़गारी, ग़रीबी, महंगाई, जीडीपी, खेती-किसानी, एमएसपी पर मोदी सरकार की अर्थनीति क्या रही है? द वायर के अजय कुमार बता रहे हैं कि देश की सत्ता पर क़रीब 10 साल से क़ाबिज़ मोदी सरकार के तहत ज़्यादातर लोगों के जीवन में कोई बड़ा बुनियादी बदलाव नहीं आया है.
केंद्र के ख़िलाफ़ अभियान शुरू करेगा संयुक्त किसान मोर्चा, 26 जनवरी को 500 ज़िलों में होगी ट्रैक्टर परेड
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि देशभर के 20 राज्यों में इसकी राज्य इकाइयां 10-20 जनवरी तक घर-घर जाकर और पर्चा वितरण के माध्यम से ‘जन जागरण’ अभियान चलाएंगी. इसका उद्देश्य केंद्र सरकार की ‘कॉरपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को उजागर करना’ है.
ज़मानत नीति में सुधार के एक मामले को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों द्वारा हर प्रयास किया जाना चाहिए कि जब वे ज़मानत दें, तो इसका कोई अर्थ होना चाहिए क्योंकि ऐसी ज़मानत शर्तें, जो क़ैदी की आर्थिक स्थिति से परे हों, लगाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है.
वीडियो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनियाभर के कई मंचों पर कहते हैं कि भारत सबसे तेज़ बढ़ रही अर्थव्यवस्था है, मगर इसी अर्थव्यवस्था में नागरिकों की प्रति व्यक्ति आमदनी इतनी कम है कि इस मामले में भारत विश्व के 100 मुल्कों में भी नहीं आता.