अगर देश के संविधान का मूल स्तंभ सहिष्णुता और धर्म-निरपेक्षता है, तो फिर मोदी सरकार के शुरुआती तीन साल तक संविधान के मुखिया के पद पर बैठकर प्रणब मुखर्जी ने क्या किया?
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस प्रकार खुलेपन की भावना और आपसी सम्मान के साथ विचारों के आदान-प्रदान से सहिष्णुता और सौहार्द की भावना तैयार करने में मदद मिलेगी.
संघ मुख्यालय, नागपुर में आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र, भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है.’