पी. साईनाथ की किताब ‘अमृत महोत्सव’ के तमाशाई माहौल में सार्थक हस्तक्षेप की तरह है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पी. साईनाथ की नई किताब 'द लास्ट हीरोज़: फुट सोल्जर्स ऑफ इंडियन फ्रीडम' पढ़कर एहसास होता है कि हम अपने स्वतंत्रता संग्राम में साधारण लोगों की हिस्सेदारी के बारे में कितना कम जानते हैं. यह वृत्तांत हमें भारतीय साधारण की आभा से भी दीप्त करता है.

क़ुतुब मीनार परिसर की मस्जिद में नमाज़ की अनुमति दी जाए: दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड

क़ुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन देवताओं की मूर्तियों की पुन: स्थापना करने की मांग के बीच दिल्ली वक्फ बोर्ड ने यह मांग की है. उसका दावा है कि परिसर की मस्जिद में नमाज़ पहले से होती रही है, लेकिन भारतीय पुरतत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसे रुकवा दिया था. इससे पहले एएसआई ने अदालत में उस याचिका का विरोध किया था, जिसमें देवताओं की मूर्तियों की परिसर में फिर से स्थापना की मांग की गई थी.

सड़कों पर नाम-पता पूछने वाला ‘जय श्रीराम’ अब भेस बदलकर स्कूलों में पांव पसार रहा है

मुल्क की सियासत अब ज़्यादा शिद्दत से पहचान की राजनीति के गिर्द नाच रही है. राम को इमाम-ए-हिंद कहने वाले इक़बाल की दुआ को मदरसे की दुआ कहकर सीमित किया जा रहा है, लेकिन देश के बच्चे शायद इक़बाल की दुआ के सबक़ के माने समझ रहे हैं.

यह प्रार्थना पर नहीं बल्कि हिंदू समाज के दिलो-दिमाग के सिकुड़ने पर दुख मनाने का वक़्त है

विश्व हिंदू परिषद ने पीलीभीत के एक प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर पर राष्ट्रगान की जगह इक़बाल की प्रार्थना गवाने का आरोप लगाया. उनसे शिकायत नहीं पर जिलाधीश से है. उन्होंने जिस प्रार्थना के लिए हेडमास्टर को दंडित किया, क्या उसके बारे में उन्हें कुछ मालूम नहीं? क्या अब हम ऐसे प्रशासकों की मेहरबानी पर हैं जो विश्व हिंदू परिषद का हुक्म बजाने के अलावा अपने दिल और दिमाग का इस्तेमाल भूल चुके हैं?