पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और वकील विष्णु शंकर जैन ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है. 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पेश किए गए 42वें संवैधानिक संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द शामिल किए गए थे.
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल ने एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने कहा कि भारत अनादि काल से ही एक आध्यात्मिक देश रहा है और संविधान की प्रस्तावना में पहले से ही लिखित ‘संप्रभु, लोकतांत्रित, गणतंत्र’ शब्द के साथ ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को जोड़ने से ये छवि प्रभावित हुई है.