इससे पहले विवादित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में देश भर में 25 लोगों की मौत हो चुकी थी. इसमें से कम से कम 18 लोगों की मौत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई थी.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान यूपी पुलिस द्वारा मानवाधिकार हनन की कई घटनाएं हुई हैं. युवकों की मौतों की कई खबरें आईं, जो मुख्य रूप से पुलिस कार्रवाई के दौरान लगी गोलियों के चलते हुईं और पुलिस ख़ुद सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर रही है.
नागरिकता क़ानून को लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में पुलिस और ज़िला प्रशासन ने लोगों को नोटिस भेजा है. इसके अलावा कानपुर, फ़िरोज़ाबाद और मऊ समेत कई अन्य शहरों की पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिए उनकी तस्वीरों का पोस्टर जारी किया है. इससे पहले रामपुर में 25 लाख रुपये की भरपाई के लिए 28 लोगों को नोटिस भेजा गया था.
जॉइंट एक्शन कमेटी के तहत नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध करने वाले बीएचयू के छात्रों ने कहा कि उनके दर्जनों साथियों को 19 दिसंबर से ही गिरफ्तार किया गया है. कमेटी के सदस्य और एमए फर्स्ट ईयर के छात्र प्रियेश पांडे ने कहा कि गिरफ्तार किए गए 12 लोगों में से तीन पीएचडी छात्र, आठ एमए छात्र और एक बीए का छात्र है.
इतिहासकार इरफान हबीब ने देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई पर कहा कि औपनिवेशिक काल में भी हमने विरोध का इस तरह दमन नहीं देखा. विरोध को इस तरह कुचलने के प्रयासों को लेकर लोग काफी चिन्तित हैं क्योंकि विरोध करने का अधिकार लोकतांत्रिक समाज का हिस्सा है.
उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान घायल मोहम्मद शफ़ीक़ नई दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि बीते 20 दिसंबर को काम से घर लौटने के दौरान पुलिस ने उनके सिर में गोली मार दी थी.
फिल्मकार और संगीतकार विशाल भारद्वाज ने सवाल उठाया है कि तोड़-फोड़ में पुलिस के कथित रूप से शामिल होने की खबरें सामने आने के बाद क्या इस मामले की कोई न्यायिक जांच होगी.
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुई हिंसा के संबंध में प्रशासन ने 28 लोगों को नोटिस जारी किए हैं. नोटिस में इन 28 लोगों को हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का ज़िम्मेदार बताया गया है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान घायल मोहम्मद शफ़ीक़ नई दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि बीते 20 दिसंबर को काम से घर लौटने के दौरान पुलिस ने उनके सिर में गोली मार दी थी. विशाल जायसवाल की परिजनों से बातचीत.
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में देशभर में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से 18 लोग उत्तर प्रदेश के थे.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का यह बयान उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग कर रहे कई पत्रकारों को हिरासत में लेने के बाद आया है.
विवादित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में अब तक देशभर में 25 लोगों की मौत हो चुकी है. 18 लोगों की मौत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई है जिसमें एक आठ साल का बच्चा शामिल है. वहीं, असम में पांच लोगों की मौत हुई है जबकि मेंगलुरु में दो लोगों की मौत हुई है.
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में नागरिकता क़ानून के विरोध में भारी सुरक्षा के बीच डीएमके ने रैली का आयोजन किया. पार्टी प्रमुख ने सवाल उठाया कि नागरिकता संशोधन क़ानून के तहत मुसलमानों को शरणार्थी और श्रीलंका को पड़ोसी देश का दर्जा क्यों नहीं दिया गया है.
उत्तर प्रदेश में बीते चार दिनों में संशोधित नागरिकता क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों में अब तक कुल 16 लोगों की मौत हुई हैं. आठ जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है.
नागरिकता कानून के विरोध में लखनऊ में 19 दिसंबर को हुई हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर में सदफ़ जफर का नाम भी है. सदफ़ के परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी लाठियों से पिटाई की. उनके हाथों और पैरों पर लाठियां बरसाईं गईं और पेट पर लात भी मारी गई जिससे उन्हें इंटरनल ब्लीडिंग होने लगी.